टर्की का शेर | Tarki Ka Sher
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.71 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्ण टर्की का शेर
बुद्धि छुशाप्र थी, वह पढ़ने में सबसे तेज था, स्मरणशक्ति तो
द्धत थी और एक हानदार विद्यार्थी में जो-जो गुण होने चाहिए
उसमें विद्यमान थे । परन्तु वह जन्मत: ही ऐसे स्वभाव का था
कि उसका वह स्वभाव उन दिनों उसका झावशुण समझा जाने
लगा था । भरदडपन शाप में ज्याद: था और हेकड़ी मारा करते
थे। स्कूल के खेलों में छाप कभी भी भाग नहीं लेते थे । किसी
ने छुछ ऐसी वैसी बातें कहीं कि मरने भारने को तैयार । सबसे
दुश्मनी हे। गई । एक दिन ्रष्यापक ने किसी 'छपराध पर 'झाप-
को शारीरिक दण्ड दिया, बस, फिर क्या था भाप बुरी तरह
बिगड़ पड़े और उनका सामना भी किया--लात चूँसे भी चलाए |
ध्यापक ने और भी पीटा । जब मास्टर पर कुछ वश न चला
तब आप गुस्से में क्लाते हुए स्कूल से भाग गए ।
दूसरे दिन मुस्तफा मियाँ मद्रसे नहीं गए । बहुत प्रयत्न
किया गया कि आप मद्रसे जावें, मगर ऐसे छाड़ गए कि ट्स से
मस नहीं हुए । उनकी मौसी ने कहा कि छगर इसी मदरसे में
पढ़ना है तो में खर्चा दे सकती हूँ । दूसरे रकूल में पढ़ाने के लिए
मेरे पास खर्चा नहीं है। उनकी माता ने उन्हें बहुत डॉट,
घमकाया, डराया, लेकिन मुस्तफा दी तो ठहरे | अपने जन्मजात
स्वभाव को कैसे छोड़ते । साता सिर पटक के रद्द गई, नहीं गए
सो नहीं ही गए । अब उनकी माता ने सोच लिया, यह झब नहीं
पढ़ेगा, इसलिए इसे एक दूकान करा देना चाहिए । परन्तु उनके
चचा ने कददा--“न तो यह दृूकान ही कर सकेगा और न पढ़ेगा
ही । इसलिए इसे सेलोनिका के सेनिक विद्यालय में भर्ती करा
देना चाहिए। वह विद्यालय सरकारी है उसमें यदि इसने इन्नति
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