साम - वेद | Saam - ved
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.69 MB
कुल पष्ठ :
372
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्र [ पू० झ० १; खें० ६; मं० टू
भी उन्हें छोड़कर तम माठरूप जलों को प्राप्त हुए हो। इस कारण
तुम्हारा निवतंन भी असझ्य हो जाता है । तुम अप्रकट रद्दने पर इन
के द्वारा सब श्रोर से प्रकट होते हो ॥£॥ हे अग्ने ! तुम
ज्योतिस्वरूप हो । यजमानों के निमित्त तुम्हें प्रजापति ने देव-याग-
स्थान में स्थापित किया था । यज्ञ के लिए प्रकट हुए और हृवियों से
तृप्त हुए तुम कणव ऋषि के निंमित्त प्रदीप्त हुए थे । ऐसे तुम्हें सब
प्राणी नमस्कार करते हैं ।1१०॥
( द्वितीयो््य: )
प्रथम दशतति
(ऋषि:--वसिष्ठ: ; कण्द:; सौभरि:; उत्कील:; विदवामित्र: ॥
देवता--श्ररिन:; ब्रह्मणस्पतति: ; यूप: ॥ छन्द:--बुहती ॥)
देवो वो द्रविणोदा: पूर्णां विवष्वासिचस् ।
उद्दा वा. पृणध्वमादिद वो देव ओहते ॥ १ ॥
प्रुतु ब्रह्माणस्पति: प्र देव्येतु 1
अच्छा वीरं नर्य पड़िक्तराधसं देवा यज्ञ नयन्तु न: ॥ २ ॥
ऊर्व्व ऊ षु ण ऊतये तिष्टठा देवो न सविता ।
ऊर्धवों वाजस्य सनिता' ॥३॥
प्र योराये निनीषति मर्तों यस्ते वसो दाशत् ।
स वीरं धत्ते अगन उक्थशंसिनं त्मना सहस्रपोषिणम् ॥ ४ ॥।
प्रवोयह्ल पुरूणां विशां देवयतीनाम ।
र्रिन सुक्तेभिवेचोभिवृ णोमहे य॑ समिदन्य इन्धते ॥ हर ॥
अंयमर्नि: सुवीरयस्येशे 'हि सौभगस्य ।
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