आशाकी नयी किरणें | Asha Ki Nayi Kirane
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
42 MB
कुल पष्ठ :
315
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. रामचरण महेन्द्र - Dr. Ramcharan Mahendra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ड्
५ @ 7)
क
৮৫
शरद
कर
१ . |
ধু आशाकी नयी किरणे
स्थापनाके लिये युद्ध करती और अत्याचार, अन्याय, विछास और
कामुकताका विनाश करती है | तात्पथं यह कि इन सब रूपोंके
विधानमें शक्तिके नानां रूपोंका महत्व जनताके हृदयतक पहुँचाया -
गया है | एक युग था जब भारतत्रासी सुशिक्षित थे और इन प्रतीकों-
का अर्थ समझते थे | खेद है कि अब इनका गुप्त भेद विस्थृत हो
गया है और केव्छ बाह्य पूजाकी भावनामात्र शेष रह गयी है, फिर
भी इससे शक्तिका महत्त्व स्पष्ट हो जाता है !
बलवान् बनो ! शक्तिकी पूजा करो | जब हम यह सलाह
देते है, तो हमारा गुप मन्तव्य यह होता है किं दुर्बल मत वनो |
कमजोर मत बनो । जिधस्से कमजोरी आती है, उधर ध्यान दो ओर
निबंलताको दूर मगाओ । अपने शरीर, मन, आत्मामें शक्ति मर लो |
संसारमें अनेक पाप हैं । आप गौको मार देते हैं, तो गोहत्या-
का जघन्य पाप आपके सिरपर पड़ता है | किसी बच्चेको मार देते
है, तो बाख्हव्याके अपराधी होते हैँ | किंसी ब्राह्मणका वध कर
डालते हैं, तो ब्रहमहत्याका पाप लगता है । इसी प्रकार हमरे शासखमे
अन्य भी अनेक पापोंका उल्लेख है, किंतु एक बहुत बड़ा पाप
डुबंछता है | शरीर, मन या आत्माका कमजोर होना मनुष्यक्रा बहुत
बड़ा पाप है | इसका कारण यह है क्रि दुरबताके साथ अन्य भी
समस्त पाप एक-एक करके मनुष्यके चरित्रमें प्रविष्ट हो जाते हैं |
डुबलता सब ग्रकारके पापोंक्ी जननी है | द
यदि आप दुबंछ हैं, शरगेरसे कृशकाप और मनमें साहसविहीन _
: हैं, तो अपने या अपने परिवार-पड़ोस हत्यादिपर किये गये अत्याचार-
সপ ^
User Reviews
No Reviews | Add Yours...