मारवाड़ी ख्यात | Marvadi Khyat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.9 MB
कुल पष्ठ :
285
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ष्टं * सुदणोत नैशुसी की ख्यात
गढ़ ७० कस; देवलिया ३० फोस, नीमच श५ कोस, मालपुस ५७ कोस, घछौर
ससिरचाड़ा “४ कोस ।
मेवाड़ के पहाड़--रुपजी के निकट का पर्वत देश की सीमा पर है।
रुपनी से तीन कोस पूर्व रीछेड़ चाघारे की खाम ( मोड़ ) में है । जीलवाड़ा घर
सीछेड़ के वीच झामलमाल का घड़ा पर्वत ४ कोस लम्बा दे। उसके इघर केलवा
ब्ौर चाघेरि के झागे घाटा नामक गांव है। उसके परे भोरड़ का मगरा उत्तर
दक्षिण ४ फोस लम्वा है। भारड़ चौर गछावला के मध्य समीाचा गांव कुम्मावत
'सोसोदियें! फा निवास स्थान है । समीचा उदयपुर से १७ छोर रूपजी से १९
छोर झम्मलमेर से १० फोस के अन्तर पर है। उसके आगे मछावला का मगरा
सात कोस सम्वा दै जिसके झास पास ६ गांघ चसते हैं--समीचा, मदारड़ा,
यरददाड़ा, वरणा, गमण झादि। मछावतले पर चूचावली श्रौर जल की चहुतायत है।
उसके धागे वरवाड़ा जहां से दर छौर यनास नदियां निकलती हैं । झागे घासेर
फा पदाड़ पक कोस लम्बा झीोर उसके परे पिरडरकांप का पर्वत है। घासेर
श्र पिएडरकॉंप के वीच वांसवाड़ा कोतारा (?) ९ कोस और उससे श्यागे पूमण
पदाड़ों के पास लोहर्सीग नाम का गांव है, जिसके समीप दी एक छोटी नदी
का निकास है । पूमण की लम्वाई उत्तर दुच्तिण ९ कोस और उसके व्यागे इंस-
चाल नामी मगरा और कड़ी नाम का गांव है । यद मगरा गिरचे के पहाड़ों से जा
लगा है श्ौर उदयपुर से ५ कोस पश्थिम उत्तर की घोर है । जीलवाड़े से कोस
3 घर देखूरी से कोसेक घाणोरा ( घाणराव ) कुम्मलमेर की तलहरी में है ।
जिससे दी कोस के अन्तर पर कुम्मलमेर का पंत १४ कोस फे घेरे में सादड़ी,
चाणुपुर, सेवाड़ी तक चला गया हे । सेवाड़ी गांव कुम्भलमेर से ७ कोस पर है,
इसच्ते झागे राहंग का मगसय चुत ही विकट, चहां जल पुप्कल और २४५ गांव
उसके झासपास वसते हैं । इस पहाड़ की लम्वाई १६ कोस शोर चविपात्तिकाल में
राणा के ठदरने की अच्छी टौड़ है । वद्द सिरोदी की स्णुवा पहाड़ियों से जा
लगा है। ( चोदाई ) उसकी कोस १४ श्रौर घेय ३० कोस का है । निकट
थो गांवों में सीरवी, पटेल, कुचवी, घ्राह्मण और बनियों वही वस्ती है । गांवों फी
पविगत--भाटोदी, भूणोद, मारदय, खुवाइणी, चटड़ी, पादोड़, पिरडवाड़ा सिसेडी
दा, देकरिये या घाटा लदां जुटी नदी हे । राग में वालीचों का चतन है। जगा
* और रादंग के यीच के स्थल को देसदये (?) देश कहे शऔर घहाँं खरबड़,
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