भारतीय इतिहास की रूपरेखा - भाग 1 | Bhartiya Itihas Ki Ruprekha - Vol 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
570
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ९३ )
की राजनैतिक शुरूममी संसार के इतिहास में एक ऐसी विलच्नण असाधारण
आओ ओर अनदोनी घटना है कि बह सोचने बाले को स्तर्ध कर दैवी है । यदि वह
आँखों के सामने मौजूद न दो तो उस पर बिश्वास्त न किया जाय ! स्मिथ
जैसे व्यक्ति, जिन छी विचार-शक्ति कुछ गहरी नहीं है, यदि उस के कारणों को
ठीक न समझ सके, और उस की ज़ड़कपन को व्याख्यायें करने त्में, तो हम
ने बहुत दोष नदीं दे सकते । इस का यष भथ नहीं है कि से उन की
गलतियों का समथन करता हूँ । उन के इतिहास का बहुत प्रचार होने से उख
की गलतियों का भी खूब प्रचार हुआ है; इस लिए इन आलोचनाओं को
पाठकों के ध्यान में लाना आवश्यक हुआ ।
स्मिथ के ग्रन्थों में अनेक अभाव भी हैं। प्रो० सरकार ने अपने पूवीक्त
लेख में शिकायत की है कि बृहत्तर भारत के विषय में उन ग्रन्थों में एक शब्द
भी नहीं कहा गया । किन्तु दूसरी जगदह स्वयं प्रो० सरकार स्मिथ के एक
अभाव से बहक गये हैं।वे लिखते हैं--“२३० से ३३० ई० तक पूरी एक
शताब्दी के लिए समूचे देश के इतिहास को एक भी घटना अभी तक
नहीं पाई गई। आन्ध् और चालुक्य युगों के बीच तीन सौ बरस के लिए
कृफ्खिल का इतिहास कार है, उसी प्रकार छठी शताब्दी के उत्तरां के
लिए उत्तर भरत का , किन्तु आन्ध्र और चालुक्य युगों के बीच ही
तो (ठुख्लिउल के शब्दों में ) “दक्खिन के सब राजबंशों में से सब्र से
अधिक गारवमय, सब से अधिक महत्वपूर, सबथ से बढ़े आदर का पद
पाने योग्य, सक से उत्कृष्ट, भर समूचे दक्सिन की सम्यता पर निःसन्देह
सब से अधिक प्रभाव डालने बात़ा” बद “सुप्रसिद्ध बाकाटक कंशः
राज्य करता था, जिस के इतिहास में मारतीय श्विहास फी उस सव
से उज्ज्वल स्यृति बाली देवी- प्रभावती गुप्रा--का शासनकाल भी सम्मिलित
পল
৭. पोजिटिकल इम्स्ट(ट्यूशम्स इत्यादि, पु० १९३ ।
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