मंगल विचार दर्पण | Mangal Vichar Darpan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
958 KB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(११)
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दलाय स एको सुतिः मानवानोम् | ~.
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अर्थात् इस संसार मे सव, मयो मे वंद एक मरुध्य
श्लाध्य दै दौ उचम श्यार सपुष्प ई तथा वशे धन्य
है कि मिसके धर से कार्याओं ओर शरणागत पुंरुष नि
शण होकर विष्व नरै जतते हैं।
योँवो धप ्पनौ जीवनी मेतदा दी श्चम्नार््थो
में अपने द्रव्य का उपयोग फेरते ही ददे है; परन्तु धमी
हाल में अपनी- रुग्णावस्था में भी जो च्यंपने एक आति
प्रशेसनीय कार्य किया दे-उसका श्रवण कर संहृदय सेश्मनों
फा चित्त भअंवश्ये गदगद हो जावेगा और वे उस कार्य्य
को म्रुक्कएडे से अगेसां किये विनरा केंदापि - नहीं रह
सक्ता काथ का विपरण यंह है।कि सेद्पयोगों - से बचा
हुआ द्रव्य इंस समय आप फं-प्रप्त लंगमंग पचास दकारं
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