शीघ्रबोध भाग 23-24-25 | Shighrbodh Bhaag 23-24-25

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Shighrbodh Bhaag 23-24-25 by श्री ज्ञानसुन्दरजी - Shree Gyansundarji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १३) + वायु कायमें जाते दे वहां भी दोय भव करंते दे परन्तु अप्तन्नी मनुष्यक्ति जघंन्ध स्थिति होनेसे गमा (१-5६) तीन तीन ही होता है ७६५-३-६ सर्व मीलाके ७७४ गेमा द्वोता है ` जघन्प दोघषमव उत्कृषछ आठ .सवक् गमा १६४६ द्ोते दे इसके स्थार्नोका विवरण, यथा २६ संज्ञों तीयेच पांचेन्द्रिय मरके सतावीस स्थान जाति , है जिसमे एक सातवी नरक वके, शेष २६ स्थान । १६ मनुष्य मरके .१९ स्थान जावे देखो छठा दासि । ११ मनुष्य मरके ,१९ स्थानमें जावे निस्त ९-३४-५६. ठो नरक्र तथा ३-४-५-६-७-८ वा देवछोक एवं ११, स्थान जावे | রি एवं ९२ स्थान जाने अपेक्षा और- ९२ “स्थान पीच्छा आने अपेक्षा सवे १०४ स्थानमें ज० दोय भव 3०» आठ भव करे प्रत्यक स्थानपर नौ नी गमा दोनेसे ९६६ गमा हवे । एथ्वीकाय मरके एथ्वीकायनं जावे निरे पंच गमाम ज? दोय मव उ० आठ मव करते दै एवं दोप च्यार स्थावर्‌,तीन वैकलेन्द्रिपका पांच पच गमा गीननेसे ४० गमा होते है । पी मनुष्य संज्षी तीयच असंत्री तीयेच मरके वीये जवे व्‌ ज० दोय 3० आाठमव निस्के नी नी गमा जीर अंप्तेज्ी मनुष्य एरस्वीकायमें जाये मव ० दोय उ० णाठ करे परन्तु जधन्य स्थिति होनेसे तीन गमा ( ४-५-६ ) द्ोता है एवं ३० गमा तथा ४० पेदलके एवं ७० गमा शथ्वीकायके हुवे इसी माफोक




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