धातुओं की कहानी | Dhatuo Ki Kahani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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में इस प्रकार बढ़ी कार्बन की, मात्रा पहले बहुत গ্লিঘলিল
और ग्रनिश्चित रही होगी । पर्याप्त कार्बन होने पर इस्पात
से बनी तलवार, छुरे और अन्य ओऔजारों के गुण उन दिनों में
बहुत आश्चयंजनक और श्रेष्ठ माने गये होंगे । गरम इस्पात को
पानी में बुकानें पर उसकी शक्ति और कठोरता में बहुत वृद्धि
हो जाती है ।
इस्पात के गुणों की जानकारी और तापोपचारित् होकर
शक्ति श्रीर कठोरता में परिवृद्धि का रहस्य पता लगने के
बाद उसका उत्पादन बढ़ाने के प्रयत्न किये गये । यह ऐसा
उपयोगी धातुमेल था जो सब प्रकार की चीजें बनाने के काम
में लाया जा सकता था। सेनाओं के अ्रस्न-शत्र बनाने में
इस्पीत का उपयोग बढ़ा और जो धातु एक समय स्वर्शिक
मानी जाती थी वहं मनुध्य-समाज के लिए सर्वाधिक उपयोगी
सिद्ध हुई ।
हम यह पहले कह चुके हैं कि स्वर्ण और रजत अपनी `
अनुपम आभा झोर सुन्दरता के कारण आभूषण इत्यादि बनाने
के काम में लाये गये और बहुलता न होने के कारण धीरे-धीरे
बहुमूल्य होते गये । अधिक माँग और कम मात्रा में उपलब्ध
होने के कारण उन्हें हम दो वर्गों में रख सकते हैं | सभ्यता के
विकास में इनका शअ्रत्यत्त महत्वपूर्ण योगदान है :
(१) सभी धालुश्रों के कुद गुण एक दूसरे के समान होते
ই । इस कारण स्वाभाविक है कि ऐसा प्रयत्न किया जाये
जिससे भ्रधिक विपुल और कम मूल्य वाली धातुएँ, जैसे लोह
वि्रिल और बहुमूल्य धातु स्वर्ण में बदली जा सकें । इस दिशा
में असंख्य अ्रनवरत प्रयोग किये गये, पारस पत्थर की मान्यता
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