चरिताष्टक भाग - 1 | Charitashtak Bhag - 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Charitashtak Bhag - 1  by प्रतापनारायण मिश्र - Pratapnarayan Mishra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about प्रतापनारायण मिश्र - Pratapnarayan Mishra

Add Infomation AboutPratapnarayan Mishra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[ १४ 1 छंड़का बेड़आई में दृष्ठ होता है वह सवाना होने पर सहिप्तान होता है। बह बात निरी फरठ नहीं भी जाम पड़ती विशेषतः जगम्नाथ का जीधनचरित् ती इश की पुष्टता का मानो प्रमाग है। वह वाहइवावस्था में रते दरवद यैत दी यषा हीने पर असाधारण पंछित भी निकले শুষ্ক লীন লী है कि जिसे बुद्धिमान होनाषहोता है वी इष्ट दाना §। दृष्टता के कोर्ण और भो होते हैं जैसे जगन्नाथ बूढ़े बाप के लड़के थे इस में पिता की बहुत दुलारे थे, किए आठ वर्ष की अवक्‍्घा में मां मर गई दम में और भी जिला हाकाधानी के हो गए ऐसे लड़ओं की कौन नहीं ज्ञानता- कि নিই অলী দ্বীন ক । बह शाद वकते मीर मारते इए पथिकी काद्र तक पीक्षा करते গ্রঁ। श्वि के धडु 'ठे्े षै फोङुकरठद्य माश्तैखे। वेड पर चषके नी वाले लोगो धर सलमूत कर देते थे' और लड़ाई कगड़ा मार कूटः चोटी भादि से प्षी' क्षी उक्तताएं र्षते थे। यह ऐसे दुष्ट थे कि एक्ष बार वसि वेडियांबाले पंच्रानन महादेव जी के पडा मे एक चसा मगः एर पंडा मे न दिया इस पर आप रूप ने पंडादेव जी की मर्ति चराकर किसी ताबाब मैं फेक दी | दुष्टता के मुण सेः धष बाह्यकाल' हे प्रसिर हो मद थे इस हे आस पास के भावधाले इल्‍ह- सब जानते थे। मुर्ति सुरा जाने पर संभी मे मध लिया कि यह करतुत इन्हीं की प्रतु जत्र प्डाः में प्रति तेज एक बकरा देने कहा' तो जल मे में मूर्ति निक्ाल लाए:। ऐसी र दुष्टता बह नित्य हीं सरते रहतें थे। पर इन की एक प्ावसी इन्हे লালা ही के समान प्यार करती थी ! | । पांच वर्ष की अवस्था में इन के पिता ने व्याकरण तथा कीघ सिखाना आरंभ किया और कुक दिन बीतने पर दो হা মাত্র भी সিফাত চি ती वह आपनी तींब बुद्धि से रन्ध की ध्ड़ाधड़ परढ़नेशरगे । एक হিল एक पड़ीहछियों ने इन की नटखरटी से स्रीआकर शद् देव की उलेइना दिया इस पर उन्हों ने इन्हें वुलाओे ऋद्ा-तू बड़ाही याजों है न लिखता है न पढ़ता है सब को तंग किए रहता' है बथा तु ने हमे दुःख देने हीको অন্ন लिया है. जे पीयी छठा डेस देच की देया पडा हैं जगन्‍्नाध




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now