बया का घोसला | Baya Ka Ghosala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
224
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४ बया का घोसला
यह पूछते न चूके कि बकरी का दूध तो नहीं होगा | लेकिन वह उनसे खास
सी परिचित नहीं है । दो बार कुछ देर के लिए प्रेम के घर वे मिले थे। आज
तीन दिन से साथ साथ हैं | प्रम तो उनके व्यक्तित्व के भीतर अक्सर छुप
जाने की चेष्टा करती है। कभी तो वद्द डर जाती है कि यह प्रेम तो... ...!
क्या वह केशव को भी छुल रही है ? कभी-कभी वह अनुभव करती है कि
प्रेमलता केशव पर शासन किया करती है। केशव अवाक-सा अक्सर उसे
ताका करता है। प्रेम ने उसे केशव की कई बातें सुनाई हैं। वह उनके घर
बहुधा टिक कर अपनी कई बातों को असावधानी से , घटना-घटना करके
बखेर दिया करता था । कुछ बातें चतुरता से प्रेम संवार करके अपने में रख
पाई है | वद्द उसके श्रति समीप सी है | सरल वह दरजा कब पाती है ! सुबह
चाय का बिल प्रेम ने चुकाया तो वे कुछ नहीं बोले | दिन को खाने का बिल
चुकाने के लिए उसने बुआ खोला तो उन्होंने जल्दी-जल्दी 'वेटर” को दस
रुपये का नोट दे दिया | वह अपनी दूरी की बात सोचकर चुप रह गई थी | कभी
तो प्रेमलता के गुणों पर विचार करती ! वह उससे स्नेह करती है, फिर भी
उसके विचारों से सहमत नहीं | प्रेम को युवकों को लुभाने वाली चमक के प्रति
उसकी स्वाभाविक विमुखता है | वह कभी-कभी प्रेम से बड़ी दूर हट जाती है।
लेकिन उसकी मन मोहनी बातों को सुन कर चुप रद्द जाती है। कोई तक
सामने नहीं लाती ।
सरल ने प्याले में चाय उड़ेलना चाद्दा तो बोला केशव, “चोथा
प्याला | नहीं बस ।??
सरल खुद चुपचाप आलू की टिकिया खाने लगी। प्रेमलता तो चाय
पीते-पीते हँस पड़ी | कहा था, “हम इस युद्ध से बड़ी दूर हैं | इसीलिए तो
वह सव एक कल्पना मात्र रह जाता है ।?
“कल्पना ! आप क्या कह रही हैं प्रेम जी ! तीन सितम्बर को वायस-
राय घोषणा कर चुके हैं कि हम भी इस युद्ध में शामिल हो गए हैं। २९
सितम्बर को पोलैए्ड का पतन हुआ। २० मार्च को दलादिए ने फ्रांस के
प्रधान-मंतजित्व के पद से छुटकारा पा लिया | जनता इस युद्ध से दूर रहना
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