शांतिपथ पथ प्रदर्शन | Shanti Path Pradarshan

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Shanti Path Pradarshan by दयानंद भार्गव - Dayanand Bhargav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ छ १ ডর संख्या विषय पृष्ठ [ संख्या _- विषय पृष्ठ. - (४३) अतिचार ३ धर्म मे दशेन-ज्ञान शारितरकी एकता ३५३ १ धामिक जीवन में भी दोषों की ४ शाब्दिक श्रद्धा व अनुभव का कार्य- सम्भावना ३२८ कारणभन २५३ २ अपराधी होते हृए भी निरपराधी ३२९ | (४८) सम्यक्ख या सच्ची श्रद्धा के लक्षणों ३ अभिप्राय की प्रधानता २६ मे समन्वय ४ अतिचार व श्रनाचार में अन्तर २२० | १ पांच लक्षण ३५५ (४४) परिषद जय व श्रुप्र क्ता २ पाँचों लक्षणों में पृथक पृथक शान्ति का १ तप व परिषह में अ्रन्तर ३३२ বারন ग ९५६ २ परिषह जय का लक्षण ३३२ | ২ पांचों लक्षणों की अता २५७ ३ परिषहों के मेदादि ३३३ | (४६) सम्यक्त्व के अंग व गुण ४ अनुप्रेक्षा का महात्म्य व उनके भाने १ धर्मी के अनेकों स्वाभाविक चिन्ह ३५६ का ক ३३४ | २ निःशंकता 386 ५ कल्पनाश्रों का माहात्म्य ३३६ ३ निराकांक्षता ३६१ ६ क्रम से बारह भावनायें ३२३७ | ४ निविचिकित्सा ३६२ (४५) चारित्र ५. अमूढ़ हृष्टि ३६४ १ चारित्र का लक्षण व पूर्व केथित प्रकरणों ६ उपगरूहन व उपव हण ३६५ से इसका सम्बन्ध ३४२ | ७ स्थिति करण ३६६ २ चारित्र में अभ्यास की महिमा ३४३ | ए८ वात्सल्य ३६७ ३ सामायिक आदि पांचों चारित्रों का ६ प्रभावना ३६७ चित्रण ३४३ | १० प्रशम ३६७ ४ अन्तरज्भ व बाह्य चारित्र का समन्वय ३४५ | ११ संवेग ३६ (४६) निजरा व मोक्ष ९९ सस्या = १ निजैराका परिचय ३४७ | ९२ स्ति নদ २ सोक्ष का लक्षण ३४७ | ९४ है ने ३ मोक्ष सम्बन्धी कु कल्पनायें द |^ क १६ कारुण्य च माध्यस्थता ३६८ ४ मोक्ष पर अविश्वास ३४८ न | ५ सोक्ष का स्वरूप शान्ति ३४६ | {> पारेशूष्ट शा समन्वय (২০) भोजन शुद्धि ४ (क) भोजन शुद्धि की सार्थकता-- (४७) शान्ति पथ का एकीकरण ~ भोजन का मन परं प्रभावं ३६६ १ घर्म व श्रद्धा के लक्षणों का समन्वय ३५१ २ तामसिक, राजसिक व सात्विक भोजन ६३० २ श्रद्धा ज्ञान की सप्तात्मकता का ३ सात्विक नोजन में नो नध्यानक्ष्य एकीकरण ३५१ विवेक २८१




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