ब्रह्मचर्य-व्रत | Brahmacharya- Vrat
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
734
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लाभ और माहात्य
# वप्त
तेवै सुया उत्तम मभवेर |
सुगद्ायध सूत ।
ध्रद्मचर्य दी उत्तम सप है ।!
प्रह्मचयं से कया लाभ रोता रै, च्रौर् ब्रह्यवर्यका कैसा
प्रास्य दैयद सक्षित मे নবি बताया जाता है 1
আাংলা ঘন ध्येय, ससार के जन्म-मरण से दाकर, मोक
प्राप्त फरना है । आत्मा, इस ध्येय को तमो प्राप्त कर सकता है,
जय उसे शरीर की सदायता द्वो--भर्थाव
शरीर स्वस्थ हो | बिना शरीर के, धम नहीं दो
सफता और बिना धर्म के, आत्मा अपने
वक्त ध्येय तक नहीं पहुँच सकता | काव्य ग्रन्थो मे कटा दै--
হাংধিনাত ভা ঘন লাঘনন্ 1
कुमारसम्मव ।
दारीर ही, सब धर्मों का प्रयम भौर उत्तमं साधन षै
ঘমাধ ভান मोप्तणुमारोग्य मूल मुत्तमम् ।
“धर्म, भर्थ, काम और मोक्ष का, भारीग्य हो मुझ साधन है ।*
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হাহীনসীর ঘন का
सम्पन्च 1
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