विमलज्ञान प्रकाश | Vimalgyan Prakash
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand){५ 1.
शणमास्यां । मधुर २ स्वर राम अछापी। गहरे
झाब्द गुजास्पां राज ॥ आज म्हारा संभव जिनके
दित चित्त गण. नास्यां ॥ आ १॥ नष
जितारथ सेन्या राणी । ताद्ुत सेवकथास्थां ॥ नवधा
भक्त भावसौ करने । प्रेम मगन. हदं जास्यां राज
॥ आ० २॥ मन बंच कायछाय प्रभु सेती।
निसदिन सास उसास्पां॥ संभव जिनकी मोहनी
सूरति । हिये निरन्तर ध्यास्थां राज॥ जा० ३॥
दीन दयालदीन बंधव के | खाना जाद फहारपां ॥
तमधन प्रान समरपी अभूक्ो । इन पर वेग रिभा-
स्थां राज ॥ जआ०य॥ अष्ट कमे दर जति जोरा-
वर ते जीत्या छख `पास्यां ॥ जाल्म मोहमार के
जगसे। साहस करी भगारपा- राज॥ आ० ५॥.
ऊबट पंथ तजी दुरगतिको । शुभगति पंथ सम्ता-
स्यां | आगम अरथ तणे अनुसारे । अजुनव ददा
अभ्पास्यां राज ॥ आ० ६] काम क्रोध मद लोभं
कपटः तजि ! निज णस् ` ख्वखास्थां | बिनैचंद
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