विवेक सतसई | Vivek Satsai

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Vivek Satsai by श्री राम शर्मा - Shri Ram Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ १ ) ' धथों रहीम : रुख, दग्ब-सहत :बड़े:लोग सह सान्ति ॥- ~ . उगव:;चंदजेहि:-सांति- सो, अथच्तत ताही भांति.॥ १६१ ॥ : रन बन व्यापिश्विपत्ति सें, रहिसनः मरै-नःरोय, | ...६.£ जो रक्षछ/ ज़ननी>जठर;- सो: हरि गये ज़ञसोय1 १६२-॥ _ साधु चरिव. तवनीत :सो, ,कह्यो कब्रीन बुथाहि [८ बह: अपने সান. यह. दूजे .दुख मांहि ॥ १६३ ॥ पर कारज साथरदिं सदा, तजि सख स्वार्थ अनंत: | पदम्‌; पच्.जिसि.जग , जिये,:धल्ि-धनि संत महंत)! १६४ || नष्यता के लक्षणु--- जब्त ৫১৭ १ ४}, सत्य शील सुदि ब्रह्म: पर्‌,, न्यायः परायन. धीरः 1.1. ओजच़् न करते ,दुख. पड़ - रदते सदाः. गंभीर 11 १६६ ॥ कहे वचन , प्रलटे, नर्दी,., जो .सत्त्‌ पुरुष .सधीर 4 है कहत सबे, हरिचंद नृप, भर.यो . नीचः. घर जीर ॥ १६७ ॥ . कबीर आए .ट्याइये,. चौर. न ` ठमिये कोय |] 7 সাদ ভিজা. ভব ऊपने,-आओर ठम्यां. दख. दोय ॥ १६८ ॥ रहिमन लित्त अधमं को, जरत न लागे वार ` चोरी करि.,होरी रची, भई तनिक में छार॥ १६६॥ सात पिता , गुडः को . करत, “जे. आदर सत्कार । से भाजन सुख. सुयश - के, . जीच वष. हजार ॥ -६५७० ॥ श्रवन करी [यों कीजिषे, सोता .पिता की. सेव. - काये ऋोबरि कैः पिरयो, -पुजे . जैसे. देव 1-१७१ ॥




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