करणानुयोग प्रवेशिका | Karnanuyog Praveshika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)करणानुयोग प्रवेशिका १३
भूमिका आरम्भ होने लगता है। उस कालमे प्रथम तीर्थकर ओरं प्रथम चक्रवर्ती
भी उत्पन्न हो जाते है । कुछ जीव मोक्ष भी चले जाते है। चक्रवर्तीका मान भग
होता है, वह् एक नये वणं ब्राह्मणकी रचना करता है । चौथे दुषमासुपमा कालमे
६३ मेसे ५८ शलाका पुरुष ही जन्म लेते है। नौवेसे सोलह॒वे तीर्थद्धूर तक सात
तीर्थद्धूरोके तीर्थमे धर्मका विच्छेद हो जाता है। सातवे, तेईसवे ओर अन्तिम
तीर्थडूरपर उपसर्ग होता है। ग्यारह रुद्र और नो नारद होते है। पॉचवे दुपमा
कालमे चाण्डाल आदि जातियाँ तथा कल्की उपकह्की होते है। ये अनेक नई
बाते हुण्डावसपिणी कालमे होती हैं।
६९ प्र०--त्रेसठ शलाका पुरुष रिन््हे कहते है ?
उ०--चौबीस तीर्थडू र, वारह चक्रवर्ती, नो वलभद्र, नौ नारायण और नौ
प्रतिनारायण ये त्रेसठ शलाका पुरुष अर्थात् गणनीय महापुरुष कहे जाते है ।
७० प्र०-चोबीस तीथंडूरोके नाघ क्या है?
उ०--ऋषभ, अजित, सम्भव, अभिनन्दत, सुमति, पद्मप्रभ, सुपारव॑, चन्द्र-
परभ, पुष्पदन्त, शीतल, श्रेयास, वासुपूज्य, विमल, अनन्त, धर्म, शान्ति, कुन्थु,
अर, मल्लि, मुनिसुत्नत, तमि, नेमि, নাহল और वरद्धमान ये भरत क्षेत्रमे उत्पन्न
हुए चौबीस तीर्थद्धूरोके नाम हे ।
७१. प्र०--चौबीस तीर्थेड्रूरोका जन्म स्थान कहॉँ है ?
उ०--ऋपभनाथ, अजितनाथ, अभिनन्दन नाथ, सुमतिनाथ, ओर अनन्त
नाथका जन्मस्थान अयोध्या ह । सभवनाथका जन्मस्थान श्रावस्ती नगरी है,
पद्मप्रभका जन्मस्थानं कौशास्वी है, सुपाख्वं ओर पादवंनाथका जन्मस्थान
वाराणसी ( बनारस ) है, चन्द्रप्रभका जन्मस्थान चन्द्रपुरी ओर श्चेयासनाथका
जन्मस्थान सिहुपुरी ( बनारसके पास सारनाथ ) है । पष्पदन्तका जन्म स्थान
काकन्दी, शीतलनाथका भटलपुर ‹ भेलसा ), वासुपूज्यका चम्पानगरी, वरिम
नाथका कपिला, धर्मताथका रत्तपुरी ( अयोध्याके पास ), शान्ति, कुन्थु और
और अरनाथका हस्तिनापुर, मल्लिनाथ और नमिताथका मिथिलापुरी, तमिनाथ-
का शौरीपुर ( वटेश्वरके पास ), मुनिसुत्रतनाथका राजगृह और वर्धमानका
जन्मस्थान कुण्डलपुर है।
७२ प्र०--चोबीस तीथंडूरोके निर्वाणस्थान कौनसे है ?
उ०--भगवान् ऋपभदेवका निर्वाणस्थान केलास पर्वत है, वासुपृज्यका
चम्पापुर, नेमिनाथका गिरनार पव॑त ओर महावीर वद्ध॑मानका निर्वाणस्थान
पावापुरी है। और शेप तीर्थ॑द्धूरोकी निर्वाण-भूमि सम्मेद शिखर पव॑त है 1
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