हिंदी एवं मराठी के वैष्णव साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन | Hindi Aur Marathi Ke Vaishnav Sahitya Ka Tulnatmak Adhyyan
श्रेणी : आलोचनात्मक / Critique, इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24.95 MB
कुल पष्ठ :
720
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. नरहरि चिंतामणि जोगलेकर - Dr. Narhari Chintamani Joglekar.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)समत्व दशा । नामदेद का सकत्प और निरदचय । नामदेव चख॒ र्दाविन एक माहित्यिक प्रकार 1 नामदेव का दृष्टिकोण । ७ थे माच्छ व सर का ग्य का सथि क्या नलयमालबर- ममयथाम-नवक कर नया पाना कि यान. ूगद्ध 1 | व माोक्त सर काव्य का नाज-ाचन दाग 1 क्त आर भगवान से प्रेम संघप का नाव 1स््पात 2 नामदेव पट बसा दत्ति । नामदेव की चिन्ता आत्मनिद्ट लेनी में देव की आतंता 1 -स्ययंदर का प्रेरणा ख्रोत लवण अझजन प्जाग्ण्ण्ण न नयरपन्सजच रु कसा को श्म-पत 1 ना रद को विनोद प्रियता का वर्णन नारद- चरि्र-चित्ण रुदमी शोर झप्ण के युद्ध का एक हस्य । ऊुछ सांस्कृतिक प्रसंग । एक्षनाय का सम्पादन कोशल्य । भावाधे-रामायण के निर्माण की पुरे पीठिका भावायं-रामायण की प्रेरणा । रामकथा निर्माण की प्रेरणा और स्फूति से उत्पन्न च्यामोह ग्ण्णणा सयम्यम्यार फिका च्यानाहू नर का 2 पिि सस्यिक प्र एकनाथ का क्ञतया का साहात्पिक पक्ष 1 झाशषोवचन गरेश-आदेश सरस्वती की आज्ञा संताज्ञा सादाय-रामायस की साहित्यिकता का लक्ष्य । भावाधे-रामायण की साहित्यिकता 1 राम-जानकों परिणय । चानर-वीरों का निइचय ररप़वीरों के किस 1 स्फुद काव्यों का परिशीलन-वालकृपण वर्णन दिरहिसी गोपी की दया न। गोपी को समस्या एकनायकृत हिन्दी अभडू-रचनाओं का साहित्यिक पक्ष । हिन्दी गुदरातहो अभड़ । कंजारन अभडज्ू हिंन्दी तेलुगु और मराठा के संमिद्य रूप में ने नावनात्मक-पुकता और ठ् अर ससूकृतिक-समन्व त य निष्कप । एकनाथ सागर-गदं-हरण कमी एुक झात्तच्यर एव दासपतिक एकनाथ को सम दचा कं तियों का संक्षिप्त विहंगमाव- कि मास्क सकते हे तारा फल रनड ऊझमसरों क्त्व पास पन्नू अझन्तम उनपन न ननजू। का साएहास्यक पक्ष । अन्त भक्त की अभिव्यंजना नक्त का मनानाद अपने आचव्य स् न न 2 भावन न प्रकट होते साल अल कर पा चनफकंस्य का वना यू कक ह्ान वाला क्ाव 1 भक्त सर भगदादू को अभिन्त्ता आात्मा-परमात्मा की एकता तुकाराम को रा क्भ मिल लातवारा तक्पराम के सात्मानूभद. तुकाराम की समाज को देन । तकाराम के काका हिन्दी लभज्ध । रामदान के काव्य का साहित्यिक पक्न । सीता-सउयंवर- वर्णन राम याद... अं द- ए्थायाधयवाा थ्ः्द् च्र्ल् प्र थ श्2द प्ेक थ्द्द कि सता ता न््यं हंचमाव सं रथ सख-निवेदन । रामचन्द्रल जा पसन भगवान झच्धूर का नुत्य दरन समर्थ को भक्ति-भावना व्यक्त कक दाल सनी द्द्य पर पद हवन राम ड न करन य + उपदद परक पद । समय रामदास क्ते साहित्य का मुल्यांकन 1 ५ ७०. पर पद पृष्ठ ६२७ से ६७६ हिस्डी दषपपन किये न का सा स्यक क पक्ष दर्द वप्ग्पव कवियों का साहित्यिक पक्ष-- प्धर ३ सह भगक्तिरस क करन युक्त नाद्त्व का महत्ता एवचसू साहित्यिक पक्ष । प्रतोकों के द्वारा भादान झुश्त 1 लार ट नु लाराव्य को सर्वव्यापकता को प्रकट करने वाली प्रतीक इॉली 1 मनग्राही झ्सिरा न टिक य भ नर्स कसम का शक मर वन न भाटा न कावत्द कान मरसत्ता घत्तीति सौर विश्वास कम साहित्य । कवबोर साहित्य दत्य का भाव प्रेम से है । तसझी न न टद1 तुलयादासजा कर साहित्य पक्ष । भगवान राम
User Reviews
No Reviews | Add Yours...