समाज और जीवन | Samaj Aur Jeevan

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Samaj Aur Jeevan by जमनालाल जैन - Jamnalal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समाज और जीवन सुख और शान्ति महात्मा मयवानदीनजी शांति और सुख दांति की पूजा अहुत होती दे । और उसको काफ़ी से ज्यादा महत्व मिला हुआ है । का अंत 3 शान्ति कह कर ही किया जाता है । कुरान के अन्त में भी 3 शान्ति क॑ अर्थों वाला अस्सलाम लिखा मिलता है । सारे धर्मों की बुनियाद शान्ति फैलाने के खातिर पड़ी । फिर भी शान्ति दद्ध में आज इतना मिठास नहीं है जितना सुख-शान्ति बोल में । शान्ति के साथ सुख जुड़ जाने से शान्ति का मतलब सब के लिए साफ हो गया है यानी जहाँ शान्ति वहाँ सुख या जहदीं सुख वहीँ शान्ति । यों सुख-शान्ति एक अर्थ वाल दब्द दो जाते हैं । दिछसे कोई खुख-शांति नहीं चाहता सैकड़ों व्याख्यानों को व्याख्यान देने वाले यों शुरू करते हैं सब से कक नर 2 थे सुख चाहत हैं और धर्म यह सिखा सकता है कि सुख कहाँ मिलेगा और फिर आगे चल पढ़ते हैं । मानों व्याख्यान देने बालों को व्याख्यान सुनेन वालों के मन का ठीक-ठीक और पूरा पता दे और उनको अपनी इस जानकारी पर पूरी पूरी तसलली यों हो जाती हे कि व्याख्यान सुनने वालों में से कोइ एक भी उनकी इस मान्यता का खण्डन नहीं करता । हम भी ऐसे ब्याख्यानों के सुनने वालों में रहे हैं और इमने भी भेड-च्वाल था




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