भारत सावित्री | Bharat Sawatari
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
331
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१. शससाहस्नी संहिता ७
किसने ही आश्यान और उनसे कम महत्त्व की आस्यायिकाएं वैदिक
साहित्य के অন্তর और लोक मे परावर बढ़ रही थीं। पौराणिकों के
सम्प्रदाय में वे सुरक्षित होती भावी षीं | हिमाछय से जैसे शतसहस्नसंस्यक
निशचैर और वेगवती जरू-घाराएं इलानों पर महती हुईं उसके सटान्त में
गंगा की जछघारा में जा मिल्सी है, पैसे ही वैदिक नरणों मे मौर सछोक
में उत्पन्त मे मनेक आस्यास और कपाएं क्रमशः प्रवर्शधमान होती हुई मारत-
इतिहास के वाड्टमय में आ मिस्ली और उसीसे महाभारत का पल्लछवित,
पुष्पित भर प्रतिमण्डिस बह रूप संपन्न हुआ, जो सूर्य, चन्द्र और तारों की
भांति माज मी छोर में विराजमान है । उपास्यारमों चे रहिते वौवीस सहस
इोकों षौ चतूरविंरातिसादृस्री संहिता “मारणः नामसे प्रभिद यी । वही
अनेक उपास्यानों को आत्मसात् करके खक्ष ए्छोकास्मक महामारत की
ध्तसाहली सेहिता बन गई।
महामास्त फे अनेकविघ विषय
इस प्रकार इतिहास-मुराण फी परम्परा या प्रानीन अनुशुतियों का
सहिविशिष्ट संकछन और अध्ययन वैदिक संहिसाओं का व्यास करने-
बाफ्ले एवं छोक-विधान के सत्त्वज्ञ महामुनि कृष्णद्वैपायन ने किया। उनके
भन्दनोकित् कृष्ण घरीर, उन्नत मेरुवंड, पृषु छछाट, चमकीरे नेत्र भौर
प्रतिमावान् मन में छोक और वेद की समग्र सरस्वती स्फुरिस हो उठो ।
उसीके साकार झूप में इस ब्राह्मी संहिता---नाना दास्त्रोपवृद्धित, संस्कार-
संपन्त, वैदिक मौर छोकिक सूक्म अर्यों से समन्वित, पवित्र मौर লী
म॒ष्ाभारत संहिता का जन्म हुआ । इसमें पुराणसंधि्त कथाएं, धर्मे-
संश्वित कपाएं, राजपियों फे अरित जैसे मुझ््य विषयों का घाना-बाना कुछ
पांडवों के जय नामक इतिहास के चारों ओर बुन दिया गया है । ययाति
मौर परशुराम के वड़े-वड़े उपास्यान, किन्हें स्पाकरण-साहित्य मे यायातं
मौर माभिरामं कहा णया है, किसी समय छोद मे स्वतंत्र स्प से प्रसिति
ये वे महामारत में संगृहीत होते मए। राजपियों के घरिव ही वे मारा-
हंसी स्तोम ह, जिनका उपर अपबेदेद में उल्लेज़ आया है और उन्हें ही
पुराणों में बंशानुचरित कहा गया। इनका संग्रह मी इतिहास-पुराण
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