भारत के त्यौहार | Bharat Ke Tyohar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनमौर ब्रत 5
शृहलक्षिमियो के समान हो तो उन्हे भी एक पत्नीव्रत का पालन करते
हुए स्नियों का झादर करना सीखना होगा। तभी उनके जीवन मे
सुख् और धान्ति कायम रह सकेगी ।
3 गनगौर ब्रत
चैत्र शुबला तृतीया
भनगौर ब्रत-चैन शुक्ला तृतीया को रखा जाता है। यह हिंदू
स्त्री मात्र का त्यौहार है । भिन्न-मिन्न प्रदेशो की प्रथा एव भिन्न भिन्न
कुल परम्परा के भेद से पूजन के तरीको में थोडा-बहुत भ्रतर हो सकता
है। परन्तु इसकी धाराझ्रो मे भेद नही है। सौभाग्यवती स्त्रियाँ बहुत
आचीनकाल से इस ब्नत को रखती आई हैं 1
मरध्य'क्तु त्क उपवास रखकर, पूजन के समय रेरुज़द बी गौर
स्थापित करके, उस पर चूडी, महावर, सिन्दूर, लए चस्न, चन्दन, घुष,
अक्षत, पुष्प भौर नैवेद्य श्रादि श्रपेणा क्या जाता है। उसके बाद कथा
सुनकर श्रत रखने वाली स्थियाँ गौर पर चढा हुआ सिन्दुर अपनी माग
मे लगातो हैं । गनगौर का प्रसाद पुरपो को नही दिया जाता है) इस
चन के सम्बन्ध मे जो लोक-कथया आमतोर पर गवो मे प्रचित है वह
इस प्रकार है
शक धार देप नारद के सहित भगवान् गकर विश्व-पर्यटन के
लिए निकले । सतती पार्वती भी उनके साय थी। तीनो एक गाँव से
गए। उस दिन चैत्र शुवला तृतीया थी। गाँव को सम्पन्न स्त्रियाँ शिव-
पावेती के झाने का समाचार पावर बडी प्रसन्न हुईं भौर उन्हें अ्रपेण
चरने के लिए तरह-तरह के रचिक्र भोजन बनाने लगी) परन्तु
गरीब स्त्रियाँ जो जहाँ जैसे बंठो हुई थी, दैसे ही हल्दी-चाचल भपनी-
अपनी थालियो मे रखकर दोडी भोर शिव-फाव॑त्ती बे पास पहुँच गईं
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