नवपदार्थ दर्पण | Navpardarthdarpan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Navpardarthdarpan by ब्रह्मचारी शीतल प्रसाद - Brahmachari Shital Prasad

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ब्रह्मचारी शीतल प्रसाद - Brahmachari Shital Prasad

Add Infomation AboutBrahmachari Shital Prasad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
সপ নক ८१५) , ङे भरि भ्र सेनदनेपपिनी पमा सयनञे बारह उष अपर सार समारति एक प्रहे बाधे घुने गये दें।वेशास मास জানি অব যত ছিসীধ দীনীবাক वियाद मनरिपिसे बहु पृमषायके पाप श्रीमान्‌ सा सुतरान गती सुपृश्रीके प्ता , विदा था | धर्मशी অন; মী আয दिरेष रुषि है। खाए अपर दोदर दस्यानपमे रोमाना पृमन्‌ क्रते दे ( एम श्रीसीमे णापर খনি है कि भाप डिरायु टोग़र मेथा प्म वमािरी तेयद হট | আমন অন হিরা লাল্যা বি বলোষবীবটী হাদি पं दंड/स्तिकाय टीका ट्रितीवमाग-नवरदा यम प्रध्राधित कराए डानदानसझ मदापधमनीय कराये डिया ই। यह ग्रन्प मेनमिशदे उस सर झराइकोशें मेटसें दिया गए हैं जो दी० सन २१९६मे ननम्रियरे महक थे । সাহা ই অঃ श्रीमाव भी ऐसे अप शानदानका अनुदरण ढरेंगे ६ य्न नि भीय २४०, कॉतिक ब ३९ मृलचन्द शिशनदरास कापड़िफ ५१ ९११५-२ प्रकाशक ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now