समग्र ग्राम - सेवा की ओर | Samagra Gram Seva Ki Or

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Samagra Gram Seva Ki Or by आचार्य कृपालानी - Aacharya Kripalaniधीरेन्द्र मजूमदार - Dheerendra Majoomdarरामनाथ सुमन - Shree Ramnath 'suman'

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आचार्य कृपालानी - Aacharya Kripalani

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धीरेन्द्र मजूमदार - Dheerendra Majoomdar

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रामनाथ सुमन - Ramnath Suman

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १६ ) परिवर्तन; कोन सभ्य ६? } १७. निरिर्चत प्रयोगकी चेटा -.. ~ ` ,..१०७-१२० [आम-कार्य की योजना, समग्र दृष्टि की आवश्यकता; रासना की विशेषताएँ; धुनाई-कताई और रात्रिपाठशाला; - यूत न खरीदने की नीति की निष्फलता; स्त्रियों का शिक्षण ओर सुधार ] व १८. रासना की शेप कथा... ডি ২০ १२०-११२ [ रासना चेन्द्र का श्रन्त ] १३, सेवा का निश्चित कदम ... १२२-१२४९ [ स्वास्थ्य का दिवाला; गाँव में विश्राम का निश्चय; বানা কষা चुनाव ] २०. प्रास-प्रवेश का तरीका १२६-१३२ [ ब्याख्यानवाजों के सम्बन्ध में गाँववालों ये विचारः हमारे रदन-स्दन की देख-रेख: हमारा तक; चर्ख चला; गाव मे वहीं कते सूत की पहली साड़ी ] २१. समप्र आमसेदा की भोर र १३२-१३७ [ रीवा की बस्ती, बहुत पिछड़ा गाव, दक्रियानूभी दिमाग पर प्रेम श्रीर श्रद्धा से भरा हृदयः प्राममेवा का श्राधार-विन्दु, निराशा हमारे गलत इश्कोण का परिणाम, दम कितने दुबल हैं 1] २३. सफाई की योजना ,१३८-१४२ २१५ আনি থক का छाम ইন [ झालोचनाओों का श्न्त, चिकित्सा फे सम्बन्ध में दिचार क्षेत्र-बिजार | २३४० दस्य स्दावक्षरइत को चोर १४८.१३४ [मनाई का आरंभ; शुभ परिश्याम, एक विधया ब्राहग्गी पा साहस ]




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