तुलसी के हिय हेरी | Tulsi Ke Hiye Heri

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Tulsi Ke Hiye Heri by विष्णुकान्त शास्त्री - Vishnukant Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आधुनिकता की चुनौती और तुलसीदास ৭৭ হাথ कल्याण भावना । विज्ञान और ओद्योगिवी इस परिवतन मे माध्यम हैं । इद्दी के प्रभाव के कारण वह बौद्धिग अधिव' है, श्रद्धालु बम । इन्ही के बलबूते पर आधुनिक मनुष्य जगत्‌ बौ भाग्य या व्यक्तिगत सनव के मधीनन मानकर परिगण्य और निभर-योग्य मानता है | इही के सहारे वह योजनावबद्ध रूप से परिवेश वो नियंत्रित वरने वी क्षमता मजित वरता है। फ्लत वह अतीत को तुलम म वतमान या भविष्य के प्रति तथा परलोक वी तुलना में इहलोक वे' प्रति अधिक उ भुख और समय-सचेत्तन है । उसके लिए दुनिया बहुत छोटो हो गयी है। अत वह्‌ बृहत्तर क्षेत्र की व्यापव समस्यामो के प्रति उदासीन नही रह सत्ता, उनके प्रति भपना হত মল व्यक्त ष रना वहे अपना लोक्तात्रिक अधिकार सानता है । अपनी एवं आयो की मानवीय गरिमा के बोध ये' कारण वह 'योग्पतानुपाती “याय (अर्थात पुरस्कार काय के अनुरूप होना चाहिए कसी वो विश्िप्ट जाति, स्थिति या पदमात्त ये अनुरूप मही,) या समथन यरता है। निश्चय ही इस तालिका यो ओर बढाया जा सकता है कितु अपने विवेचन की पीढिका के लिए में इसे ययेप्ट समझता हूँ । यह পী स्मरण रपना चाहिए कि स्वाधीनता बे पूव स्वाभिमानी भारतीय बौद्धिको का आधुनिकता से सवध प्रेम-घणा बा था। आधुनिकता वे द्वारा विकास वी अपार सभावनाएँ यदि उह आइषप्ट वरती थी तो अग्रेज शासकों बे माध्यम से उपलब्ध होने वे कारण उनके शोषण, अत्याचार स्वेच्छाचार के प्रति घृणा का प्रचुर अश आधुनिव ता वी ओर मुड् जाता था । थोडे से नवकालो की बात छोड दी जाये तो तत्वातीन अधिकाश भारतीय विचारबो ने आधघु निक्ताको इस मानसिव प्रतिरोध वे बारण आशिक रूप से ही ग्रहण किया था | इसी के साथ साथ प्राचीन भारतीय गोरव और सास्कृतिक उत्वप को भी चित्ाक्पक रूप से भारतीय जनता के समक्ष उहोने रखा था, जिसके फ्ल- स्वरूप भारतीय पुनर्जागरण वे एवं प्रमुख परिणाम वे रूप में 'सस्ट्तीकरण' वी प्रक्रिया व्यापक स्तर पर नवोदित एंव उदीयमान वर्गों को प्रभावित कर सवी थी। स्वाधीनता के बाद यह मानसिक प्रतिरोध शिथिल हो गया। राष्ट्रीय १ देखिये मायरान वीनर द्वारा सपादित ग्रथ 'मॉडनइजिशन” वे अतगत डेविड सौ० मैक्लेलैंड का 'इपल्म टु मॉडर्नाइजेशन” शीपक लेख विशेषत पृ० २६ तथा ३५-३६ तथा आधुनिक दृष्टिभगी के भय तत्त्वो के लिए उसी पुस्तव का ऐलेक्स इनकेलेस लिखित द मॉडर्नाइजेशन ऑफ मैन' शीपषन' लेख |




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