भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन एवं संवैधानिक विकास | Bhartiya Swatantrta Aandolan Evam Sanvaidhanik Vikas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
359
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है भारतोय स्वतावता प्ारदोलन एवं सवेघानिक विगास
(घ) उतर का पहार प्रदेश
आरठ की उप्तरो सौमा पर एक विशाल पदत-्ममूह स्थित है। उसमें
अनेक पदत-श्रणयाँ हैं। इन थरियों में हिमालय भायथिहऋ प्रसिद्ध है। सु एव
दरक्षपुत्र नदियाँ इस पदत-समूह को तीन भारो में वित्त करती हैं. (१) ट्िमालय
(2) हिमालय के उत्तर पतिचम के पदत ठया (३) हिमातय के दक्षिए-परृव के
पृदत | हिमालय पवत थरणी मोढहार परवर्तों गो शणी है। यह ससार का सबसे
नदीन নহার है। हिमालय की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट है जिसको ऊचाई
८४४ मीटर है 1 कचनचमा ८५३८ मीटर घदलगिरी ८१७२ मीटर भादि
प्रनेद उचाठिड-दचाच्ं इस श्वउथणीे ह \ दिमानय दी सगमम १६
चोटियाँ भाप्स बी उचतम चोटी माउन्ट ब्लेंक से भधिक ऊची हैँ। हिमासय के
मध्य बहीं-क्हीं ऊचे मदात हैं जिले पून मदान कहते हैं। इस परदत-माला में
काषमीर एवं जुकू घाटी भयस्त विस्तृत उत्पाट्क एय सुन्दर हृष्यों वालो है ।
हिमालय वो यह दीवार २४१४ किलो मीटर सम्दो स्भौर २४ से ३२ हिलोमीटर
चोड़ी है।
(व) सततज-गगा-द्हयपुत्र मदान्
हिमासतपं पदद-थरो के दनि मे त्त यह गदान उत्तरौ माठ के ष्का
भाग मे पूथ सं पत्चिम तक फल्ला हुफ्रा है तथा २४१४ किलो मोटर लम्बा है।
इसकी चोटाई २४१ से ३२१ किलो मोटर ठक है| इस मदान भ दो बड़ी नरियाँ
भ्रमा एव ब्रह्मप्र श्पती सहायक नदिणों के खाथ बहती हैं। इसमें पसिघु नदी की
दो सहायक नदियाँ सतलज एव व्यास भी बटती हैं। गगा नदी की प्रमुख सटायक
नदियाँ यमुना रामयगा भारा करनालो गडक कोसी चअम्दल बेतवा बेन
पान भादि हैं। द्रह्मुत्र॒ नदी क्रम में ठिस््ता मेघवा सुरमा प्रादि नदियाँ
सम्मिलित दै \ द्रहएव नने ल्द्िगदृ ठक् (लणमप १० विला भीरर ऊपर)
शलपयानों द्वारा यातायात के लिए सुलभ है किन्तु जहाज बेवल गोद्ाटी तक ही
पहुंच पाते हैं। इस भदाव को भादादी बढ़ो घनी दे घोर इसमें बड़े-दढे नगर बसे
हुए हैं ।
(स) रक्षिणों पठार
सतलज-पया ब्रह्यएव-मदान के दक्षिख में एक पठार है डिसकी ऊचाई
समुद्र को सत८स ४श्८स १२२ मीटर है। दहु पठार ठिकोना है झौर
उत्तर-पूद एवं पश्चिम में पदत भर एायों स घिरा हुमा है। य पवत शरणियाँ या ता
पुराने पहाड़ों के प्रवशष हैं. (जप्ते भ्रावली को पहाड़ियाँ) यास्वय पठार के हो
कठोरठम माय हैं जो क्षरण सं बच रह हैं। इतक क्वनिारे काफ़ो कटे फ़टे हैं। इस
पठार का घराठल टीलदार या लहरदार है। डिस फटो घाटी से होकर सबदा नदी
इह॒ती है धह पठारी प्रदेश को दो त्रिदो्तादार भागों में ढाँट देती है। उत्तरी राव
मालदा पठार कहलाता है । मातवा पठार छे पत्चिम तथा उत्तर-पश्चिम में
प्रदादडी को पहाड़िएाँ हैं যমন एव पश्चिम दिश्या में सुदूर सो ६६ १।
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