सितार दर्पण | Sitar Darpan

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Sitar Darpan by रमनलाल मेहता -ramanlal mehta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सिंतार वाद्य का परिचय हि सितार के प्रकार-- सितार के दो प्रकार प्रचलित हैं-( १) चल ठाठ वाला श्रौर (९) भचल ठाठ वाला । चल ठाठ वाले में सत्रह पढें और अचल ठाठ बाले में उन्नीस पढें होते हैं । प्रथम तरवदार सितार होता है घोर दूसरा मर्तरव का । मीड या काम दिखाने के लिए घगैरतरब का सिंतार अच्छा होता है, जो कि सूल्य मे भी रारता होता है । श्रचल ठाठ बलि सितार की भ्रावाज तेरा होती है। पढें पर तार खीसने से कम-से कम चार स्वर बी मीड निकलती चाहिए। इस कारण दाड़ी ययादा चौड़ी होनी श्रावर्यक है । बाज मिज्राव के वोलो में श्रसग झलग स्वर-रचना करके तालबद्ध घजाने नो बाज” कहते हैं । कतार के लिए दो प्रकार के वाज प्रसिद्ध हैं (३) मसीतसानी बाज, (२) पूरब बाज या रजाछानी बाज 1 मशीहत्यानो घाज समीतखाँ के नाम से भौर रजाखानी बाज। गुलामरना के नाम मे प्रचार में झाए हैं 1 ड मपीतखानी दिल्‍ली वाज में गायवी वे दद्ध से मीट, गमक इत्यादि वा उपयोग टोता है। इस बाज की गनें हमेशा विलस्वित या मध्यलय थी द्ोती हूं ।




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