सितार दर्पण | Sitar Darpan
श्रेणी : संगीत / Music
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.12 MB
कुल पष्ठ :
351
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सिंतार वाद्य का परिचय
हि
सितार के प्रकार--
सितार के दो प्रकार प्रचलित हैं-( १) चल ठाठ वाला श्रौर
(९) भचल ठाठ वाला । चल ठाठ वाले में सत्रह पढें और अचल ठाठ
बाले में उन्नीस पढें होते हैं । प्रथम तरवदार सितार होता है घोर दूसरा
मर्तरव का । मीड या काम दिखाने के लिए घगैरतरब का सिंतार
अच्छा होता है, जो कि सूल्य मे भी रारता होता है । श्रचल ठाठ बलि
सितार की भ्रावाज तेरा होती है। पढें पर तार खीसने से कम-से कम
चार स्वर बी मीड निकलती चाहिए। इस कारण दाड़ी ययादा चौड़ी होनी
श्रावर्यक है ।
बाज
मिज्राव के वोलो में श्रसग झलग स्वर-रचना करके तालबद्ध घजाने
नो बाज” कहते हैं ।
कतार के लिए दो प्रकार के वाज प्रसिद्ध हैं (३) मसीतसानी बाज,
(२) पूरब बाज या रजाछानी बाज 1
मशीहत्यानो घाज समीतखाँ के नाम से भौर रजाखानी बाज। गुलामरना
के नाम मे प्रचार में झाए हैं 1 ड
मपीतखानी दिल्ली वाज में गायवी वे दद्ध से मीट, गमक इत्यादि वा
उपयोग टोता है। इस बाज की गनें हमेशा विलस्वित या मध्यलय थी
द्ोती हूं ।
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