निबंध और चरित्र | Nibandh Aur Charitra
श्रेणी : निबंध / Essay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.82 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सि्यंघ अपर यरित्र था 1 अछति से या अनुभव से वे गुजरात की अपेक्षा पंजाब के निकटतर थे । आर्यसमाज रूपी दक्ष को उन्होंने पहले अपने आंत ही में श्रारोपित किया परंतु बहां का जल-वायु उसे रास न झाया और बह मुर्भा गया । वही पौदा जब पंजाब की वीर-रक्त-रखित भूमि में लगाया गया तो दिन-दूना और शत- चौशुना बढ़ने लगा | स्वामी जी ने देश को प्राचीन वेद्क संस्कृति से जीवन-ज्योति ग्रहण करने का संदेश दिया उन्हों ने बताया कि देश की अवनति का कारण वे सब बुराइयां हैं. जिनका उद्धव वेद की शिक्षा को तिलांजलि देने से हुआ उन्होंने देखा कि क्रोड़ों बेटिकि धर्साबलस्धी पराधीनता की में मुस्लिम धर्म को अपना चुके हैं. हजारों और लाखों अब भी इस्लाम छाौपेर ईसाई धर्म की ओर बढ़े जा रहे हैं क्रो़ों जाति के अंग नाम से पद-दलिव होकर निर्जीव हो रहे हैं ख्री जाति अधकार और श्पमान के गत्त में गिरी है देश में शिक्षा का आर बिशेषतः राष्ट्रीय शिक्षा का असाव है और म्राचीन वर्णा श्रम घर्म का उद्चादश लुप होकर जातपात का मयानक रूप सब ओोर व्यापक है | इस दृष्टिकोण से भारत के उद्धार के उद्देश्य से सामू- हिंक प्रयल् करने के लिए स्वामी दयानंद ने आाय-समाज की स्थापना की और आयंसमाज के कांय का केंद्र बना--पंजाब 1 १५५४७ ई० में लाहौर सें आयंसमाज की स्थापना हुई । छाये- समाज के आंदोलन के उस अरुणोदय-काल में हम देखते हैं कि कार्यकर्ताओं में कालिज के तीन विद्यार्थी भी हैं जिन में एक हैं-- हमारे इस लेख के नायक लाजपतराय और दूसरे दो हैं गुरुदत्त
User Reviews
No Reviews | Add Yours...