लाल और पीला | Lal Aur Pila
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लाल अर पीला
सी कहानियों के कथानक दिमाग में और नाम कापी पर अ्रत्र भी मौजूद
रहते ये, किन्तु उका श्रधिक ध्यान श्रव फ़िल्मी कहानी में लगा रहता
था और रोज़ी कमाने का साधन भी अब यही था | जीवन दिन-पर-दिन
महँगा होता जा रहा था, अब्बास की ज़िम्मेदारियों और आवश्यकताएँ
बढ़ रही थीं। अब समाचार पत्र का मामूली वेतन उसका भार न उठा
सकता था | लेकिन आर्थिक आवश्यकता से कहीं अधिक उसे यह चिन्ता
थी कि अच्छी कहानियाँ लिखी जार्य और ऊँचे स्तर की फ़िल्में बनें ।
उसका विचार था कि डायरेक्टर प्रोड्यूसर उसकी कहानियों को जैसा
चाहिए वैसा प्रस्तुत नहीं करते और इस विचार ने उसे इस पर उकसाया
किं एकं फिल्म स्वयं बनायी जाय | रुपया लंगाने वाले कुछ दोस्त भी
मिल गये । कला के प्रेमी कुछ कलाकार भी साथ देने को तैयार हो
गये । निश्चय हुआ कि अहमद अब्बास फ़िल्म की कहानी लिखेंगे और
स्वयं निदेशन करेंगे और जो लाभ होगा वह पटाः के हिस्से में
आयेग। सन् १६४५ ई० में उसने धरती के लाल” का निर्माण
आरम्भ किया जो सन् ४६ में समाप्त हुआ | उस फ़िल्म को कला-प्रेमियों
ने बहुत पसन्द किया, बड़े-बड़े राजनैतिक नेताओं ने उसकी प्रशंसा की,
परन्तु बाज़ार में वह फ़िल्म जरा भी न चली और लाभ का क्या ज़िक्र,
काम करने वालों को पेट के लाले पड़ गये | सन् ४६ के आदख्विर में
एक ओर कम्पनी ने उससे एक फ़िल्म बनाने की फ़रमायश की | आज
ओर कल' के नाम से लाहौर में श्रब्बरास ने उस फ़िल्म को डायरेक्ट
किया जो सन् ४७ के आरम्म में बनकर तैयार हुई | लेकिन अभी फ़िल्म
पूण रूप से बनी भी नहीं थी कि अब्बास को बम्बई वापस जाना पड़ा |
यह वड संकट पूण समय था जब देश में साम्प्रदायिक दंगों की आग
सलग रही थी, विशेषकर पंजाब में ये दंगे बड़ा भीषण खूप धारण
कर चुके थे। एक तरफ़ स्वतन्त्रता का शुभागमन हो रहा था तो दूसरी
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