अलेखू हिटलर | Alekhu Hitler
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.32 MB
कुल पष्ठ :
251
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूरज नै ई कोई इणी भात भुपावती व्हैला ? ऊंचौ-नीचौ करतो व्हेला ? अकर वे घुमावता हाथ दीस जावे तो कड़ी मजौ आव थूं किसी साथ माने इरपिंदर केई वरसा उपरात इण छेहर्ल खोछ पाछो वो इज वाठ-कोड पांगरण लागो के सुरज- चाद अर नवलख तारा भुपावता वा अदीठ हाथां नै सांप्रत जोवू । जैडी कठ-कूची किणरै हाथ जकौ सुने आर्भ॑ दछ-बादढी रा चित्ञांम कोर बीजठ्ियां रा सद्लावा भरे ? नित हमेस परभात अर साक री वेठा घवसां-घवसा गुलाल उछाल । अलेखू फूला मेक सागे भात-भात रो रंग भरे। पान-पांन में हरियाछी घोल । आ किण री अदीठ कूंची जकी मिनख रे का केसां घोठौ रंग भरे अर बेरौ तकात नी पडण दे रूप-जोवन री छिलती पसम ने खखर खोछघ भीर-मीर कर दे। आ किण री का अर किण री कूंची ? अ किण रा हाथ ? ऊन्हाठा री आकरी रुत ही | दिनूगा ई हाथ-पंग धोय मूंडी उजाठ सुमेर जी वाभा रैं सार्ग भायां री हेड़ स्कूल भरती होवण सारू वहीर ब्ही। म्हैं साव कोरी हौ । पैली क्लास मे भरती न्हियौ । रजिस्टर में हाजरी सारू नाव मंडियौ । दुजा भाई गांव वाणियाचटी भण्योड़ा हा । बारहखडोी अर गुरणी घोण्योडी हो । कोई दुजी क्लास में भरती न्हियौ कोई तीजी में अर कोई चौथी में । जिण री जिण गत भणाई रौ डोठ उणी परवाणे हेड माट सा ब सगछा ने भरती कर लीस्हा म्हारें तौ पाटी-बरता सू ई काम सरग्यौ पण दूजा भाया खातर पावडां री आडी पोधिया सीसा पेंसला दवात कॉपिया अर तिरछी कट्योड़ी कलमां मोला- ईजी । गिणिया वरस भणाई संपूरण ल्हियां नौकरी लागैला। राज मे पायी जमैला । फते रा डंका घुरैला । घड़िंग-रधड़िंग । भणियौ-गुणियो मिनख अपरबद्ठी न्है। भणाई टाढ़ नी मास्टर वणीजे नी हाकम अर नी थांणदार । हाकम थाणेदार अर गरूजी सू तो भगवांन रा ई थरणा कापता ब्हैला । वे तेवड़े तो भगवांन तकात ने सजा वोल दे । माचै चाढ दे । कान मठोठ तावडई़ ऊभाण दँ मुरगौ बणाय दै इस्केल सू ठोलां ई ठोला ठपकार दे । बापड़ा जम रो ई अँड़ी जवर ठरकी नी व्हैतौ व्हैला। वां दिना भणाई रौ सिरे गुर हो--मार। उधाड़ माथै ठोलां ईै घोदा टाव्ठ चापछियोडी अकल चुदती ई नी ही । घणकरा गरू यू. पी. धकला हा । खड़ी बोली छमकता । मारवाड़ी सूं अणुती चिंड ही। चिड् सू इं वत्ती सूग ही । म्हारी जीभ मायडभासा भिल्योडी ही। हिन्दी री आट घणी दोरी आई । स्कूल रै ठिकाणे मार- वाड़ी बोलणौ जाणे जुलम बह । म्हारी निसरड़ी जोभ हाचठा दूध सागें चूस्योडी मायड-भासा घणी दोरी छिटकाई । सीख्योडी वाणी ने भुलावण खातर म्है घणी ई सजा भुगती । कदास इणी खातर बरसा उपरांत मायड़-भासा रौ हेज पाछौ इण गत पादस्यौ । क्यूं इर्सपिदर ? कोई तौ लारले भद रा ददछा ई नी छोड़ त्द स्हैं इग जलम रौ अँड़ौ बदढी भलां कीकर भ्रूलतौ मांय रो माय उकटतौ भग्रद्ध- मुखी परवत कठा लग दट्घौड़ी रवती & / उर्फ
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