आरधना - कथाकोश भाग - १ | Aaradhana-kathakosh Bhag - 1
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
350
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आराधुक्र-कथाकोश ।
>>
मंगल और সহব্রনী
भव्य-पुरुपरूपी कमरोक प्रफुलित करनेके
लिये सूर्य हैं और छोक तथा अछोकके
प्रकाशक हैं-जिनके द्वारा संसारकी बरतु-
मात्रका ज्ञान होता हैं, उन जिन भगवानको
नमस्कार कर में आराधना कथाकोश ना-
मक ग्रन्थ लिखता हूँ।
उस सरस्वती-जिनवानी-के लिये नमस्कार है, जो संसा-
» रके पदार्थोंका ज्ञान करानेके लिये नेत्र है और जिसके नाम-
| हीसे प्राणी ज्ञानरुपी समुद्रके पार पहुँच सकता ऐ-सर्वक्ञ
हो सकता है।
उन मुनिराजोंके चरणकमर्ोंकों में नमस्कार करता हूं,
जो सम्यग्दशन, सम्यग्शान और सम्यक्वारित्ररूपी रत्नोंसे
पवित्र हैं, उत्तम क्षमा, मारदव, आजव, सत्य, शौच, ब्ह्मचर्य
` आदि ग़णोंसे युक्त हैं और ज्ञानके समुद्र हैं।
न केक
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