आधुनिक भारत | Aadhunik Bharat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
398
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्दुस्तान क्यों और केसे जीता गया ? १७
समभने लगे ये कि नाव्रिशाह जेसे ईरानी लुटेरे से दिल्ली के तस्त
को बचाने की जिम्मेदारो हमपर है। बाजीराव की मृत्यु के बाढ राधोना
दादा ने अ्रट्क पर अपना भशडा गाडा, जिससे उत्तरी मारत के
मुसलमान और गजपूतो को यह डर हुआ कि दिल्ली का तख्त दक्षिण
के हिन्दुओं के कब्जे में चला जायगा; इसलिए, मुसलमान रोहिलो ने
अदमदशाह अब्दाली जैसे को बुलाकर इस बात की कोशिश की कि इस
टक्खिनी साम्राज्य की रोक हो और दिल्ली का तख्त मुसलमानों के हाथ
से न जाय | इधर यह उथल - पुथल हो रही थी, उधर गाल श्रौर मद्रास
के समुद्र -तट पर अंग्रेज व्यापारी अपनी राजनीति के खेल खेल रहे थे ।
मराठों और सिक्खों ने मुसलमान साम्राज्य के खिलाफ बगावत खडी कर
अपने स्वतन्त्र राज्य कायम कर लिये थे। यह खबरें वगाल के हिन्दुओं
तक पहुँचती रहती होंगी, इससे श्रमेक मतों में मुतलमान सत्ता के
खिलाफ भाव पैंठा हुए हों तो आश्चय नहीं, परन्तु मराठों के इमले बगाल
पर होने के कारण बहों के व्यापारी धनियों पर एक नई आपत्ति आई
मालूम हुई होगी। इन हमलों का मुकाबला करने के लिए वहां के नवा
इन सेठ -साहूकारों पर जुल्म करके, इन्हें तग करके, आर्थिक सहायता
लेते होंगे और अगर मराठों की जीत हो गई तो भी उनकी लूठमार
और मनमानी का डर रहा होगा । ऐसी स्थिति में वगाल के व्यापारियों ने
मुसलमान शासकों श्रौर नवावों के खिलाफ बगावत खड़ी करने में अग्रेज
व्यापारियों को सहायता टी हो और मच्यम वर्ग के लोगों को कुछ समय
तक श्रमजा का शान्ति-पूरं शासन जालिम और विदेशी जमींदारों के चास से
बचाने श्रौर छुड़ाने के लिए ईश्वरीय देन है, ऐमा लगा द्वो तो आश्रय नही।
परन्तु यह भावना हिन्दुस्तान के मनर प्रान्तो से सवेत नही यौ क्योकि
उन्हीं दिनों एक तिटिश गवना सर जॉन লাল ने लिखा है “-
हमारा राज्यविस्तार कुछ व्यापारी-बर्ग और अत्यत दरिद्र और
अरक्षित लोगों के लिए श्रनुकूल हुआ है, परन्तु हिन्दुस्तान के उच्च वर्ग
और सेनिक - वर्ग पर उसका बहुत ही प्रतिकूल परिणाम हुआ है [४
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