शिकारी | Shikari

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Shikari by श्री राम शर्मा - Shri Ram Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० शिकार कुए की पारकर बैठे हम रो रहे थे--छोटा भाई ढाढ़ें मारकर ओर में चुपचाप आँखे डबडबाकर। पतीलीमें उफान आनेसे ढकना ऊपर उठ जाता है ओर पानी बाहर टपक जाता है। निराशा, पिटनेके भय ओर उद्देगसे रोनेका उफान आता था। पलकोंके ढकने भीतरी भावोंको रोकनेका प्रयत्न करते थे, पर कपोलोंपर आंसू ढलक ही जाते थे। मॉकी गोदकी याद आती थी। जी चाहता था कि मा आकर छातीसे लगा ले और लाडू-प्यार करके कह दे कि कोई बात नहीं, चिट्ठियां फिर लिख ली जॉँयगी । तबीयत करती थी कि कुण्में बहुतसी मिट्ठी डाल दी जाय ओर घर जाकर कह दिया जाय कि चिट्ठी डाल आये, पर उस समय भूठ बोलना में जानताही न था । घर लोट- कर सच बोलनेसे रुईकी भांति धुनाई होती। मारके ख्रयालसे शरीर ही नहीं, मन कोप जाता था। अकारण अथवा कुसूर- पर भी पिटने से हृदयकी कोमल कली मुरा जाती है। मान- सिक ओर शारीरिक विकास रुक जाता है। सब बोलकर पिटनेके भावी भय और भूठ बोलकर चिट्ठियोंके न पहुंचने की जिम्मेदारीके बोभसे दवा मेँ कैठा सिसक रहा था । पासही रास्तेपर एक खी अपने बालकका दाथ पकड़े जा रही थी। उसे देखकर तो करुणा-सागर दी उमड़ श्राया । हृदयके उफानने पलकोंके टकनेको हटा दिया । फाटक खुल गये । अश्र -धारा बह चली । इसी सोच-विचारमें पन्द्रह मिनट होने आये। देर हो रही है, और उधर दिनका बुढ़ापा बढ़ता जाता था। कहीं भाग जानेको तबीयत करती थी, पर पिटनेका भय और ज़िम्मे- दार की दुधारी तलवार कलेजेपर फिर रही थी । >< >< ><




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