नैषध-चरित-चर्चा | Naishadh-charit-charcha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
47 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीहष नाम के तीन पुरुष १५.
इससे हमारे साहित्य के गौरव की बदी हानि हई है । कभी-
कभी तो समय ओर प्रसंग जानने ही से परमानंद होता है।
परंतु, खेद है, संस्कृत-माषा के ग्रो की इस विषय मे बडी ही
दुरवस्था है। समय ओर प्रस॑ग का ज्ञान न होने से अनेक
ग्रंथों का गुरुत्व कम हो गया है। इस अवस्था में भी, जब
संस्कृत के विशेष-विशेष प्रैथों की इतनी प्रशंसा हो रही है
तब, किस समय किसने, किस कारण, कोन ग्रंथ लिखा--
इन सब बातों का यदि यथाथ ज्ञान होता, तो उनकी महिमा
ओर भी बढ़ जाती । जिस प्रकार बन में पड़ी हुई एक सोंदर्य-
वती मत स्त्री के हाथ, पेर, सुख आदि अवयवनमात्र देख पढ़ते
हैं, परंतु यद्द पता नहीं चलता कि वह कहाँ की है, और `
खक है, वैसे दी इतिहास के बिना हमारा संस्कृत-मंथ-साहित्य
ल्ावारिस-सा हो रहा है । यही साहित्य यदि इतिहासरूपी
आदश में रखकर देखने को मित्रता, तो जो आनंद अमी
मिलता है, उससे कई गुना अधिक मिलता.। राजतरंगिणी,
विक्रमांकदेव-चरित, कुमारपात-चरित, प्रबंधकोश, प्रथ्वीराज- `
विज्ञय इत्यादि ग्रंथों का प्रसंगवशात् कभी-कभी कुछ उपयोग
होता है, परंतु इतिहासः मे इनकी गणना नदी । इन्देतो
. काव्य ही कहना चाहिए, क्योंकि देश-ज्ञान, काल-क्रम और `
सामाजिक वर्णन तथा राजनीतिक विवेचन, जो इतिहास के _
मूलाधार दं उनकी शरोर इन पर्थ मे विशेष ध्यान दी नही
दिया गया। ८
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