पाप और विज्ञान | Paap Or Vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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डाइसन कार्टर - Daisan Cartar
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डॉ. कोशाम्बी - Dr. Koshambi
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श्री मुंशी - Sri Munshi
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गमी का रोग, जो सबसे अधिक लोगों की मौत का कारण
बनता है, एक हो पोढ़ी में खतम किया जा सकता है, इन लोगों के
उत्साह को और भी बढ़ा दिया ।
यह सन् १६३६ में हुआ था। दो वर्षो बाद, आन्दोलन तेजी से
बढ़ चला | क़ानून बनाये गये। बहुत सा धन इकट्ठा किया गया ।
शफ़ाखाने और प्रयोगशालायें खोली गयीं। हजारों की तादाद में
इश्तिहार बाँटे गये । हजारों लोगों के खून की जाँच को गई। आक्रमण
एक बड़े पेमाने पर आरम्भ द्वोगया ।
सन् १६४० मे डा० पेरन ने दघरा लेख लिखा । अब तक गमी
के मरीजों का मुश्किल से पन्द्रहर्वों ही हिस्खा ठोक हुआ था। सूज्ञाक के
मरीजों की तादाद पहिले जेसो ही थी। गुप्त रोगों के खिलाफ यह
आन्दोलन आशा के मुताबिक सफलता प्राप्त करने में असफल रहा
था। शीघ्रद्वी सरकारी आँकढ़ों ने यह भी ज्ञादिर कर दिया क्रि
आन्दोलन का असर एकदम उल्टा भी द्वो सकता है । खन् १६४२ मे
अमरीकी सेना में इन रोगों से पोड़ित लोगों की संख्या सन् १६३६ के
मुक़ाबले कहीं ज्यादा थी ।
यकायक फ्रौजी अफयरों ने भो इप्रका बीड़। उठा लिया। वे तेजी
से इस बुराई का “सफाया” करने में जुट पढ़े। पिछले अनुभवों को
तरफ से आँखें मूं द कर, उन्होंने पुलिख को ताकत के बल पर पाप कौ
खदेड़ने की ठान लो । लोग हमेशा से पाप का नाथ करने के उद्दे श्य से
बेचारी वेश्या की बलि करते आये थे। तुरन्त ही उन्होंने भी युगों
से हमले की थिकार होने वाली वेश्या का पीछा करना शुरू कर दिया ।
नैतिकता क उन षन्डं ने जो ^“ शरम | शर्म !?, “ पाप | पाप 12,
““दृणड । दराड 12 ढो शुद्र मचाने मे आनन्द का अनुभव करते हैं,
उत्तेजित होकर वेश्याश्रं की प्रतारणा शुरू कर दी । कुछ दी
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