सचित्र राजनैतिक भारत | Political Parties In India

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Political Parties In India by हनुमानप्रसाद गोयल - Hanumanprasad Goyal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह राजनैतिक मारत को व्याग कर वैध आन्दोलन का पाठ ग्रहण करं | अतएव उन्होंने इस विषय में बड़ा परिश्रम किया और देश के तमाम वड़-वड़ः नेताओं और पढ़े-लिखे लोगों के साथ पत्र-व्यवह्यर करके सब का ध्यान इस ओर आकर्षित किया ओर फिर इन लोगों की सहायता से आंत में सन्‌ श्टूट५ ई० में उस संस्था को जन्म दे दिया, जो आज एक. वर्षों से मारत-राष्ट्रीय कांग्रेस ( [तथा विभागा ০9০080635 ) কব नाम से इस देश का सच्चा प्रतिनिधित्व कर रही है । कांग्रेस के जन्म से क़रीब पचास वर्ष पहिले भी राजा राममो ने कुछ राजनैतिक प्रश्नों की चर्चा यहाँ आरम्भ की थी और भारतीय जनता की कुछ आवश्यकताओं को एक संगठित रूप में लेकर ब्रिटिश सरकार के सामने रक्‍खा था, किंतु उस समय इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया गया | आगे चल कर जब अंग्रेज़ी शिक्षा का प्रचार हुआ और भारतीयों को यहाँ की राज्य प्रणाली की जाँच करने का अधिकाधिक झवसर मिलने लगा, तब उन्हें राजनेतिक सुधारों की भी आवश्यकता जान पड़ने लगी | क़रीब १८७४० ई० में कलकत्ते में एक प्रांतीय संस्था ४८ ब्रिटिश इंडियन एसोसियेशन ” के नाम से और बम्बई में एक दूसरी হট पंस्था “ बम्बई एसोस्यिशनः के नाम से राजनैतिक चचां के लिए खोली गयी थी | इसके बाद पूना की सावजनिक सभा भी स्थापित हुई, जो अब तक चालू है। किंतु ये तमाम संस्थाएँ स्थानीय थीं। सम्पूर्ण देश की ओर से अभी तक एक भी संस्था नहीं खुली थी। इसी समय: पार्लियामेंट के कुछ मेम्बरों ने, जिनमें जान ब्राइट, देनरी फ़ासेट और चाहं डला के नाम विशेष उल्लेखनीय है, मारतीय प्रश्नों पर विशेष दिलचस्पी दिखाना शुरू किया | इससे भी यहाँ के शिक्षितों की आँख खुलने लगीं | इधर समाचार-पत्नों के प्रचार से भी देश की राजनेतिक जायति को ख़ब ही प्रोत्साहन मिला। इसके बाद जब देशी पत्रों की स्वतंत्रता का अपहरण करने एवं सिविल सविस के परीक्षाथियों की




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