मुग़ल साम्राज्य का क्षय और उसके कारण | Mugal Samrajya Ka Kshay Aur Uske Kaaran

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : मुग़ल साम्राज्य का क्षय और उसके कारण - Mugal Samrajya Ka Kshay Aur Uske Kaaran

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about इन्द्र विद्यावाचस्पति - Indra Vidyavachspati

Add Infomation AboutIndra Vidyavachspati

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हमारे ऐतिहासिक ग्रन्थ आयलेंण्डका इतिहास यह ग्रन्थ दो खंडेमि विभक्त है । पढले भागमे इतिदास ओर दूसरे भागमे प्रसिद्ध प्रसिद्ध आयरिश देशभक्तोंके वन-चरित है । इतिहास भारतवाध्योंकों दृष्टिमें रखकर लिखा गया है और इस कारण कई अध्यायोंमें भारतके इतिददासके साथ आयलेंण्डके इतिहासकी तुलनात्मक आलो- चना की गई है, जो हम लोगाकि लिए बहुत दी शिक्षाप्रद |, है । इसमे पराधीन आयारिश नेताओंकि सैकड़ें! वर्षोतक चादू रहनेवाल अदम्य उत्साह और उनके आन्दोलनोंको दवानेके |. लिए जो राक्षसी प्रयत्न किये गये उनका ज्ञान यहूँकि प्रत्येक देशभक्तकों होना चाहिए । मूल्य सजिल्दू श्रन्यका २) भारतके प्राचीन राजवंश इस ग्रन्थके तीन भाग श्रकाशित हुए है । पहले भागमें क्षेत्रप, दैदय, परमार, पाल, सेन और चौद्दान वद्ेंकि इति- हाथ है । इस भागकी अब एक भी कापी नहीं है | दूखरे भागमें शिश्ुनाग, नन्द, शरीक, मय, कम, आन्ख्र, शक पल्दव, कुशान, गुप्त, हूण, वैस, मौखरी, लिच्छवि सिलसिलेवार इतिहास है, साथ ही यशोधर्म, विक्रमादिद्य, कालिदासके विषयम बहुत कुछ श्रकाश डाला गया है । भारतीय लिपि और प्रत्येक वंधके सिक्कॉंका विवरण भी इसमें है । मूल्य ३) तीखरे भागमें शुरूसे लेकर अवतकके राट्ूकूटो अर्थात्‌ राठोड़ों ओर गदरवालोक़ा विस्तृत इतिहास है । अ्यांत जिस समय पहले पदल राष्ट्कूटोंने दक्षिणमें अपना राज्य कायम किया था, उस समयसे लेकर कभोज देते हुए माखाढमें




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now