आधुनिक हिन्दी-गद्य | Adhunik Hindi Gadhya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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পি, 11 ५ (1 (4 1111 ॥ ५ হু ४, [ টু 1 पक 11007 4 ५ १; 1117) 1.3 চি 1 4 द | 1 ¢ শী 20 है | । ष च , 1)? ध \, | 1) | पा | এ. , 4. | ॥ । ही `: |) } ( ठ ) उपन्यास प्रकाशित हुए। बंगला आदि पड़ोसी भाषाएं इस क्षेत्र में हिन्दी से बहुत अधिक घनी थीं। उनमें बहुत से साहित्यिक उपन्यास प्रकाशित हो चुके थे । अतः हिन्दी में अब बँगछा के उपन्यासो के अनुवाद की झड़ी सी छग गईं । देखा-देखी गुजराती,मराठी, आदि से भी कुछ अनुवाद हुए। पर कुछ ही दिन के अनंतर हिन्दी उपन्यास क्षेत्र में प्रेमचेद जी की रचनाओं ने युगान्तर उपस्थित कर दिया | ये ही हिन्दी के उच्चकोटि के प्रथम उपन्यास-लेखक कहे जा सकते हैं | अब तक हिन्दी में इनकी टक्कर का उपन्यास- लेखक कोई नहीं हुआ । प्रेमाअ्रम, सेवासदन, रंगभूमि, काया- कल्प, गबन, गोदान आदि उनके कई उपन्यास निकल चुके हैं | परन्तु हिन्दी के दुर्भाग्य ने इन्हें अकाल द्वी में हससे छीन लिया | प्रेमचन्द जी के सिवा बाबू जयशंकरप्रसाद,प्रतापनारायण श्रीवास्तव, पं० विश्वंभरनाथ कौशिक, भी जेनेन्द्र, पांडेय बेचन शर्मा उग्र आदि उपन्यास-लेखकों के नाम भी उल्लेखनीय हैं | हिन्दी में मौलिक ऐतिहासिक उपन्यास लिखने का श्रेय केवल बाबू बृन्दावनलाल वर्मा को प्राप्त है। इन मोलिक उपन्यास-लेखकों की कृतियों के अति- रिक्त अभी तक हिन्दी में श्री शरचन्द्र,श्री रवीन्द्र आदि उच्चकोटि के उपन्यास छेखकों के अनुवादों की पर्यास भरमार हो रही है | उपन्यासों के समान ही हिन्दीमे आख्यायिका या गस्प- साहित्य की भी आजकल बाद आ रही है। इन आख्यायिकाओं या गल्पों की उपज बेंगला की देखा-देखी ही आरंभ हुई है| पर अब तो इनका आदर बहुत बढ़ गया है। प्रत्येक पत्र या




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