आधुनिक हिन्दी-गद्य | Adhunik Hindi Gadhya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
73 MB
कुल पष्ठ :
286
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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उपन्यास प्रकाशित हुए। बंगला आदि पड़ोसी भाषाएं इस क्षेत्र में
हिन्दी से बहुत अधिक घनी थीं। उनमें बहुत से साहित्यिक उपन्यास
प्रकाशित हो चुके थे । अतः हिन्दी में अब बँगछा के उपन्यासो के
अनुवाद की झड़ी सी छग गईं । देखा-देखी गुजराती,मराठी, आदि
से भी कुछ अनुवाद हुए। पर कुछ ही दिन के अनंतर हिन्दी
उपन्यास क्षेत्र में प्रेमचेद जी की रचनाओं ने युगान्तर उपस्थित
कर दिया | ये ही हिन्दी के उच्चकोटि के प्रथम उपन्यास-लेखक
कहे जा सकते हैं | अब तक हिन्दी में इनकी टक्कर का उपन्यास-
लेखक कोई नहीं हुआ । प्रेमाअ्रम, सेवासदन, रंगभूमि, काया-
कल्प, गबन, गोदान आदि उनके कई उपन्यास निकल चुके हैं |
परन्तु हिन्दी के दुर्भाग्य ने इन्हें अकाल द्वी में हससे छीन लिया |
प्रेमचन्द जी के सिवा बाबू जयशंकरप्रसाद,प्रतापनारायण श्रीवास्तव,
पं० विश्वंभरनाथ कौशिक, भी जेनेन्द्र, पांडेय बेचन शर्मा उग्र आदि
उपन्यास-लेखकों के नाम भी उल्लेखनीय हैं | हिन्दी में मौलिक
ऐतिहासिक उपन्यास लिखने का श्रेय केवल बाबू बृन्दावनलाल वर्मा
को प्राप्त है। इन मोलिक उपन्यास-लेखकों की कृतियों के अति-
रिक्त अभी तक हिन्दी में श्री शरचन्द्र,श्री रवीन्द्र आदि उच्चकोटि के
उपन्यास छेखकों के अनुवादों की पर्यास भरमार हो रही है |
उपन्यासों के समान ही हिन्दीमे आख्यायिका या गस्प-
साहित्य की भी आजकल बाद आ रही है। इन आख्यायिकाओं
या गल्पों की उपज बेंगला की देखा-देखी ही आरंभ हुई
है| पर अब तो इनका आदर बहुत बढ़ गया है। प्रत्येक पत्र या
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