राजस्थानी-हिन्दी कहावत-कोश धाम - २ | Rajasthani-Hindi kahavat-kosh Dham - 2

Rajasthani-Hindi kahavat-kosh Dham - 2  by विजयदान देथा - Vijaydan Detha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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--हर बासन के किनारे होते हैं और जब तक कोई तरल पदार्थ बाहर छलकने लग न जाय तब तक सब न करने वाले पेटू व्यक्ति के लिए । -जिस व्यक्ति के स्वार्थ या लोभ का कोई अंत न हो । -जो व्यक्ति सामान्य शिष्टाचार का खयाल न करके एक-दम मुंह-फट हो । कित्तोक सपनो अर कित्तीक रात । २३२० कितना-सा सपना और कितनी-सी रात । --समय पर रात भी ढलेगी सपने भी टूटेंगे । जब तक रात है तब तक सपना है । -क्षण-भंगुर जीवन की कल्पनाओं का क्या अस्तित्व ? -सुख-दुख भरा यह जीवन भी सपने से अधिक कुछ नहीं । --जीवन के साथ आखिर सभी लालसाओं का अंत होकर रहता है । --अधीर व्यक्ति को कष्ट सहने की प्रेरणा के लिए और अत्याचारी व अहंकारी को नसीहत देने के लिए | पाठा कित्तीक रात अर कित्तोक सपनो । किन्या अर अेंठो रंधीण बासी नीं राखीजे । २३२१ कन्या और जूठा रँधीन बासी नहीं रखा जाता । रंधीण -- उबला हुआ भोजन जो बासी रखने पर जल्दी खराब होने लगता है । --दूसरी ओर वयप्राप्त कन्या भी पकने पर घर में नहीं रखी जाती विवाह करके उसे विदा करना ही पड़ता है । --हर वस्तु की सुरक्षा के अपने-अपने उपाय हैं । कियां करै जांणे नाते आयोड़ी भांबण करे ज्यूं । २३२२ केसे कर रहा हैं जैसे पुनर्विवाहित भाँबिन कर रही हो । --जरूरत से ज्यादा नखरे करने वाले व्यक्ति के लिए । --वात-बात पर हरदम मुस्कराने वाले व्यक्ति के लिए । कियां देखे जांणै कागलौ नींबोल्ठी कांनी देखे । .. २३२३ . कैसे देख रहा है मानो कौवा नीमोली की तरफ देख रहा हो । राजस्थानी-हिंदी कहावत-कोश + ६०८




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