फटी जेब से एक दिन | Phati Jeb Se Ek Din
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
121
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)সু নু चेहरे
“छोड़ दो इसे, बयों मार रहे हो ? *
९ নু +
एक बार मुझे गंवई गाव का अपना वह पु: দু বহি
में पलक झपकते ही अपने प्रतिद्ध दी को लंगई রি
लेकिन शहर में आने के पश्यात् भीतर ही भीतर भरता गया एक
कायरपन !
दोनों हाथ फैलाकर मैंने उमर छोकरों को रोकना चाहा, लेकिन वे थे कि
बुरी तरह उस पर पिल रहे थे । अपने शरीर কটা নী में से मोड़कर मैसे
লই वाले लड़के केः पेट में मारना चाहा जो अपने हाथ से यटीनवाले की
कमीज की कालर पकड़े हुए था ““लेकिन पीछे से दूसरे लड़के ने कमर मे
ऐसा क्षय सारा कि गश-खाकर मैं वही बढ गया ।
तब तक और भी फई लड़के आ चुके ये । पर मव चुप खड़े देख रहे थे ।
कोई कुछ नहीं बोल रहा था ।
“जह्दी से पुलिस को बुलाओ 1 एक जावाज वामी 1
पुलिस की सुनकर लड़कों का उत्साह ठंडा पड़ने लगा.) अब वे वहां से
जल्दी से जल्दी खिसक जाना चाहते थे । धकम-धुककों के बीच मेरी हंफनी
बढ़ गयी ओर एक तरफ से फटी हुई कमीज नीचे लटक आयी । अपने
दोनों हाय मुह् पर फेरे हए आपो के सामने से जाकर देखा--खून वी
एक दो बूंद चुहचुहा आयी थी । एक लम्बी सास ली तो शरीर पीड़ा से
दोहरा हो गया ।
बाहर लॉन में आकर सीधा खड़ा हुआ तो चेहरे पर पीड़ा की लकीरे खिच
गयी ( घर की तरफ जाने वाली सड़क पर चलते हुए मुझे लग रहा था
कि इन हजार-हजार लोगों के बीच भेरा अस्तित्व एक मुड़े-सुद्ढे रद्द
के ठुकड़े से अधिक नहीं है ।
छ
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