वर्षोपहार | Varshopahaar

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Varshopahaar by महोपाध्याय माणकचन्द रामपुरिया - Mahopadhyay Manakchand Rampuriya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मत दूँढ़ो इतिहास नहीं जानता इस धरती पर- किसका क्‍या इतिहास; जाने किन किरणों का भू पर- फैला कहाँ प्रकाश ? दृष्टि बहुत सीमित है नर की- सीमित सारी शक्ति; अपने घेरे में रहती है- घृणा-द्वेष अनुरक्ति। अलग-अलग इतिहास सभी का- अलग सभी का मानः; एक तरह से कभी न मिलता- जीवन में सम्मान! अलग-अलग दाँचों में रहता- अलग-अलग आकार; नहीं जानता मिला किसे कब- कैसा कौन प्रकार। सूज रदी अमराई जिससे- पुलकित दै उद्यान; जाने किस निर््धर से पुष्य स्मेह-तरगित गान? वर्धोघहार : এ




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