ब्रह्मविलास | Brahmavilaas
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
314
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ৃ । ताते कल्यो कीजियतु ह ॥ १६॥
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8 है शतभणोत्तरी ११
५ देखत देव कुदेच सवे जग, राग विरोध धरे उर दो है।
॥ ताहि विचारि विचक्षम रमन! पर देखु तो देखत को ३।१३॥
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कवित्त 9
। सुनो राय चिदानंद कहोजु सुवुद्धि रानी, कहें कहा बेर बेर नेकु |
8 तोहि लाज है । कैसी लज कहो कहां हम कछू जानत न, हमे इ (
हां इंद्ननिको विपे सुख राज है ॥ अरे मूढ विषै सुख सेयं तू अने
वेर, अज दहं अधायो নাহি कामी शिरताज है। मानुष जनम पाय
¢ आरज सुखेत आय, जो न चेत हैसराय तेरो ही अकाज है॥१४॥ ¦
सुनो मेरे हंस एक बात हम सांची कहें, कहो भ्यो न नीके
3 कोउ मुखह गहतु है। तुम जो कहत देह मेरी अरु नीके राखों,
देह तेरी राखी थे रहतु है? ॥ जाति नाहिं पाति '
? নাহি रुपरंग भांति नाहिं, ऐसे झूठ मूठ कोउ झूंटोह कहतु है।
५ चेतन प्रवीनताई देखी हम यह तेरी, जानिहो जु तव दी ये दुख |
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सुनो जो सयाने नाह देखो नेक योय खहु, कोन विवसाहु
. । जाहि ऐसे लीजियतु ই। दस चोर विैसुल ताको कदो केतो
¢ दुल, परिक नरक कोलो सीजियतु ३ ॥ केतो कारु बीत
गयो अजहू न छोर ख्यो, कटं तोहि कहा भयो एसे रीन्चयतु
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है। आपु ही विचार देखो कहिवेकी कोन लेखो, आवत परेखो
मानत न मेरो कह्यो मान वहृतेरो कल्यो, मानत न तेरो ययो
कहो कहा कहिये ?। कोन रीक्षि रीक्षि रह्मो कौन वूझ वृह रहो,
ऐसी बाते तुमे यासों कहा कही चहिये ! । एरी मेरी रानी तोसों
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कौन है सयानी सखी, एतो वापुरी विरानी तू न रोस गहिये।
(१ ) दिन. ( २) विचारी.
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