काव्य - दर्शन | Kavya Darsan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्राव्य-द्शेन
গমমন कोलाइल, पीड़नमय
विकल, प्रवर्तन महायन्त्र. का;
क्षण भर भी विश्राम नहीं है
प्राण दास है क्रिया-तत्त्र का।
भाव-राज्य_ के सकल. मानसिक
सुख यो दुख में बदल रहे हैं;
हिंसा. गर्वोन्नत हारौ मे
ये श्रकेडे श्रु यदस रहे हैं।
ये भौतिक सदेह कुछ करके
जीवित रहना यहाँ. चाहते;
भाव-राष्ट्र .के नियम यहाँ. पर
दण्ड वने हैं सब कराहते।
करते, है संतोष नहीं है
जैसे... कशाघात प्रेरित से--
प्रतिक्षण करते ही जाते हैं
भीति-विवश ये सब कंपित से}
नियत्ति अलाती कर्म-चक्र यद्
तृष्णा-जनित ममत्व-वासना;
पाशि-पादमय पंच-भूत्त की
यहाँ. हो रदी है उपासना ।
यहाँ... सतत संघर्ष, विफलता
कोलाइल ' का यहाँ. राज है;
अंधकार में दौढ़ लग रदी
मतवाला यदह सव समाज है।
বল হী হই কন बना कर
कमो की भीपण परिणति है;
श्राकत्ना की रीत पिपासा |
ममता की यह निर्मम गति ६।
হাঁ शासनादेश घोपणा
विजयी. की हुकार सुनाती;
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