गद्य - काव्य - तरंगिणी | Gadh Kavya Targini
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जगन्नाथ प्रसाद शर्मा - Jagannath Prasad Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ११ )
लक्षणों से शून्य देश-प्रस कोरी बकवाद' या फेशन के लिये
गढ़ा हुआ . शब्द है। यदि किसी को अपने देश से प्रेमहे
तो उसे अपने देश के मनुष्य, परु, पक्षी, लता, गुल्म
पेड़,.. पत्ते, वचन, पवेत,- नदी, निक्केर सबसे प्रेम होगा;
सबको- वह: चाहभरी दृष्टि से .देखेगा, सबकी सुध करके वह
विदेश सें आंसू बहाए्गाप् {जो यह भी न बह, भी नहीं जानते कि कोयल
सौरभ ভিন -पूर्ण मंज कैसे ले हुए है, जो यह भी লনা মান
कि किसानों के पड़ के भीतर क्या ही रहा है, त यदि दसः
'बने-ठने मित्रों के बीच अत्येक भारतवासी की ओसत आमदनी
का परता बताकर देश-प्रम का दावा करें, तो उनसे पूछना
चाहिए कि '#प्लृइयों । बिना परिचय का यह अस कैसा ९ [ विना परिचय का यह् भरम केसा
सुख-दुख के तुम कमी साथी न हए उन्हें तुम सुखी देखा चाहते
हो, यह सममते नहीं वनता। उनसे कोसों दूर बैठे-बैठे, पड़े-पड़े
या खड़-खडे, तुम विलायती वोली मे अथेशाख की दुहाई दिया
करो, पर म्रमका नाम उसके साथ न घसीटो ! प्रेम हिसाव-
किताव की वात् नदीं हे । . दिसाच-कितावु करतेवाले.माड़.पर मी
५०५ -09 आ . शकल क १३
सकते है पर प्रम करनेवाले नहीं. हिसाव-किताव से देश की
४४ क,
व
प्रवृत्ति इस ज्ञान से भिन्न हे, वह सन् ङ वेग पर निभैर है, उसका
संबंध लोभ या प्रेम-से है जिसके चिना आवरयक त्याग ग का उत्साह
हो दी नदी सकता}; जिसे ज की. भूमि से प्रेम दोगा . बह इस
पकार कटेगा-- ` “ ` `
नैनन सों. रसखान जवै ब्रज के बन.बाग. तड़ाग निदारों।
केतिक ये. कलघौत के घाम.करील. के . कुंजन - ऊपर वां ॥ `
User Reviews
No Reviews | Add Yours...