मथुरा का सांस्कृतिक जैन पुरा वैभव | Mathura Ka Sanskritik Jain Pura Vaibhav
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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फूलचन्द जैन प्रेमी - Foolchand Jain Premi
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रमेशचन्द शर्मा - Rameshchand Sharma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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भथुरा का सांस्कृतिक जैन पुरा-वैभव ॐ
आ” शान्तिसागर महाराज का समाधि दिवस समारोह - पूज्य
उपा० श्री के पावन सान्निध्य দ 11 सितम्बर को आ श्री शांतिसागर
छाणी के 44वें समाधि दिवस का भव्य आयोजन किया गया।
जिसमें उपा० श्री ने चारित्र चक्रवर्ती आ० शांतिसागर छाणी के
जीवन वृतांत को बताते हुए समाधिदिवस पर प्रकाश डालते हुए
मृत्यु महोत्सव को सफल बनाने का उपदेश दिया।
वशलक्षण महापर्व का शुभारम्भ - दश लक्षण महापर्व का
शुभारंभ 14 सितंबर को उपा० श्री के सान्निध्य में किया गया।
जिसमें प्रात: सामूहिक पूजन एवं सायंकाल पं० डां भागचन्दजी
“भागेन्दु” के प्रवचनों का अजमेर समाज ने भरपूर लाभ उठाया।
पूज्य उपा० श्री के ससंघ सान्निध्य मे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का
आयोजन कर बच्चों को संस्कारित करने हेतु प्रश्नमंच आदि
विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
आ श्री शान्तिसागर जी छाणी का 77 वाँ दीक्षासमारोह -
आः श्री शातिसागर जी छणी का 77 वँ दीक्षा समारोह 24 सितंबर
को पू उपा° श्री के सात्निध्य में सम्पनन हुआ। জিন জা श्री की
दीक्षा कौ जानकारी देते हए वैराग्य कौ ओर उन्मुख होने को कहा।
. क्षिमावाणी पर्वं समारोह - विश्वमैत्री दिवस के रूप मेँ क्षमावाणी
पर्व का उपा० श्री के सान्निध्य में भव्य आयोजन किया गया। इस
दिन अजमेर समाज के बच्चे से बूढ़े तक एक दूसरे से क्षमा
मांगकर मैत्री की भावना भा रहे थे। उपा० श्री ने अपने प्रवचनों के
माध्यम से जन समूह को बताया कि क्षमावाणी पर्व दोस्तों के बीच
नहीं दुश्मनों बीच मनाना चाहिए। जिनसे हमारा वैर हो उससे क्षमा
मागनी चाहिए।
. धार्मिक शिक्षण शिविर ( सराक) बालिका वर्ग - धार्मिक
शिक्षण हेतु सराक बालिका वर्ग कं शिविर का आयोजन उपा. श्री
कं सत्निध्य मे 1-10-2001 को किया गया। इस शिविर का
उद्देश्य धर्म विमुख होती युवा पीढ़ी को धर्म में लगाना था। इस
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