राजनीति और दर्शन | Rajneeti Aur Darshan

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Book Image : राजनीति और दर्शन  - Rajneeti Aur Darshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ राजनीति और दर्शन संबद्ध हे ।* इस प्रकार दर्शनशास्त्र के दो मूलभूत अंथों और प्रयोजनों का हम विचार कर चुके । | वेद और वेदांत तथा यनानीदर्शन में दर्शन का मल तात्पय सत्ता और परमज्ञान का सम्यक बोध है। किन्तु यांत्रिक और वेज्ञानिक सभ्यता के उदय के साथ ही दशन का, अब कुछ तरवत्नों द्वारा प्रक्रियात्मक अर्थ किया जा रहा है। पूर्ण सत्ता या नि विशेष प्रत्यय' के ज्ञान के स्थान म कुछ विचारकों ने यह सुझाव रक्‍्खा हे कि जो-कुछ जीवन-पंघर्ष में सहयोग दे सके, जो व्यवहार में सफलता प्रदान करा सके, वही सत्य है और उसी का ज्ञान. दर्शन है ।* यह ठीक है कि ज्ञान को प्राप्त कर हम प्राकृतिक और सामाजिक शक्तियों के साथ उचित सम्बन्ध स्थापित कर सकते हें और इस प्रकार ज्ञान शक्ति का : प्रदाता है । जिस वस्तु का हमें ज्ञान हैं उसके साथ हमारा यथाकामचार हो जाता है ।९ तथापि सफलता और व्यावहारिक सिद्धि को ही हम सत्य नहीं मान सकते ।.बहुत वार्यों से आरम्भ में हमें सामयिक सफलता प्राप्त होती हे तथापि उनका अन्तिम परिणाम विषवत्‌ ह्येता ह । अतएव आंशिक प्रयोगात्मक साफल्य के स्थान में तत्तवज्ञान को ही हमे दशं नशास्त्र समझना चाहिए । यह ठीक हु कि वास्तविक ज्ञान को प्राप्त करत के लिए हमें अनेक प्रयोग, परीक्षण और कर्म करना होगा । किन्तु तत्त्वज्ञान की प्राप्ति तभी हो सकती हं जब इस प्रकार वस्तुनिष्ठ परीक्षण के द्वारा प्राप्त ज्ञान का अन्त:सबद्धता और कार्तस्तय का परिदर्शन करानेवाली पद्धति के साथ, जो व्यवसायात्मिका धृति ओर वृद्धि से उत्पन्न होती है, क्रम और पूर्ण समस्वय प्रस्तुत किया जाय। संक्षेप में हम कह सकते है कि दाशंनिक तत्त्वज्ञान का मूल उपादेय, कृत्स्नज्ञान ही हं) इस प्रकार की व्यापक १. तस्मादहंकारसिमं ` स्वशतर भोक्तुगंलें कण्टकवत्‌प्रतीतम्‌ । ` विच्छिद्य विज्ञानमहासिना स्फुट भुडक्ष्वात्मसा राज्यसुखं यथेष्टम्‌ ॥।' ततोऽहमादे विनिवत्यं वत्ति संत्यक्तराग : परमाथंलाभात्‌ । तूष्णी समास्स्वात्मसुखानुभूत्या पु्म्मिना ब्रह्मणि नििकल्प : । ( शांकर विवेकच्‌ डामणि ` ३०८-३०६) २, 06८6, -[क7168, ` [नात - ल्ल का वाता तथा (>€1111€ का चिल्~-प्ल्९ला121 10621181 লস ३. बहदारण्यक तथा छांदोग्य उपनिषद्‌ । 10. 1)60059610:.1011950101)9 2 {16 08101319037 0০051: 1210119301517% ग: 16 00817151795,




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