धर्म - ज्योति | Dharm - Jyoti
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सत्यनारायण गोयन्का - Satyanarayan Goyanka
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ धर्म-ज्योति
जय जय जय गुरूदेवज्यू, नमनूं सीस नवाय ।
धरम रतन एसो दियो, पाप न नडे आय ॥
इसो चखायो धरम रस, विसयन रस न लुभाय ।
धरम सार ऐसो दियो, छिलका दिया छुड़ाय ॥
धरम दियो ऐसो सबल, पग-पग करे सहाय |
भय-भैरव सब छूटग्या, निरभय दियो बणाय ||
गुरुवर री करुणा जगी, हुयो किसो कल्याण |
प्यासा ने इमरत मिल्यो, मिलल्यो धरम रो दान ॥
गुरु तो पंथ दिखाणियो, दीनयो पंथ दिखाय ।
मंजिल आपां पूगस्यां, चाल्यां अपर्ण पांय ॥
घणा दिनां रुलतता फिरूया, आंधी गलियां मय ।
गुरुवर दीन्यो राजपथ, इब तो मुंडनां नाय ॥
अणजाने भटकत फिरूया, अंधियारै री रात |
धरम-जोत गुरुवर दयी, मानो उग्यो प्रभात ॥
रोम-रोम किरतग हुयो, रिण न चुकायो जाय ।
जीवाँ जीवण धरम रो, यो ही एक उपाय ॥
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