भारतीय ज्योतिष का इतिहास | Bhartiya Jyotis Ka Itihas (1974) Ac 5455
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
291
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रारम्भिक बातें ७
या तारका-पूंजो को चुन लेना उनके लिए स्वाभाविक था। ठींक-ठीक बराबर
दूरियो पर तारों का मिलना असम्भव था, क्योंकि चन्द्रमा के मार्ग मे तारों का
जडना मनुष्य का काम तो था नही । इसलिए आरम्भ में मोटे हिसाब से ही बेध
द्वारा चन्द्रमा की गति का पता चल पाता रहा होगा, परन्तु गणित के विकास के
साथ इसमें सुधार हुआ होगा और तब चन्द्र मार्ग को ठीक-ठीक बराबर २७ भागों
में बाँठा गया होंगा। चन्द्रमा २७ के बदले लगभग २७१ दिन मे एकं चक्कर
लगाता है, इसका भी परिणाम जोड लिया गया होगा 1
चन्द्रमाके मागं के इन २७ बराबर भागो को ज्योतिष मे नक्षत्र कहते हैँ । साधारण
भाषा मे नक्षत्र का अर्थ केवल तारा है। इस शब्द से किसी भी तारे का बोध हो
सकता है । आरम्भ मे नक्षत्र तारे के लिए ही प्रयुक्त होता रहा होगा । परन्तु “चन्द्रमा
अमुक नक्षत्र के समीप है' कहने की आवश्यकता बार-बार पडती रही होगी । समय
पाकर चन्द्रमा और नक्षत्रों का सम्बन्ध ऐसा घनिष्ठ हो गया होगा किं नक्षत्र कहने से
ही चन्द्र मार्ग के समीपवर्ती क्रिसी तारे का ध्यान आता रहा होगा । पीछे जब चन्द्र-
भार्ग को २७ बराबर भागो मे बाँठा गया तो स्वभावत इन भागो के नाम भी समीप-
वर्ती तारो के अनुसार अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहणी आदि पड गये होगे ।
ऋग्वेद मे कुछ नक्षत्रों के नाम आते हैं जिससे पता चलता है कि उस समय
भी चन्द्रमा की गति पर ध्यान दिया जाता था ।*
# उदयकालिक सूयं
कौषीतकी ब्राह्मण मे इसका सूक्ष्म वणन है किं उदयकाल के समय सूयं किस
दिशा मे रहता है । क्षितिज पर सूर्योदय-बिन्दु स्थिर नही रहता, क्योकि सूयं का
वाधिक मार्ग तिरछा है और इसका आधा भाग आकाश के उत्तर भाग में पडता है,
आधा दक्षिण मे । कौषितकी ब्राह्मण ने सूर्योदय-चिन्दु की गति का सच्चा वर्णन
दिया है कि किस प्रकार यह बिन्दु दक्षिण की ओर जाता है, कुछ दिनो तक वहाँ
स्थिर-सा जान पडता है ओर फिर उत्तर की ओर बढता है।* यदि यज्ञ करने वाला
प्रति दिन एक ही स्थान पर बंठकर यज्ञ करता था--और वह ऐसा करता भी रहा
होगा---ती क्षितिज के किसी विशेष बिन्दु पर सूर्य को उदय होते हुए देखने के
पश्चात् फिर एक वर्ष बीतने पर ही बह सूर्य को ठीक उप्ती स्थान पर (उसी ऋतु
में) उदय होता हुआ देखता रहा होगा । वस्तुत , क्षितिज के किसी एक बिन्दु पर
उदय होने से लेकर सूर्य के फिर उत्ती बिन्दु पर वैसी ही ऋतु मे उदय होने तक के
4. १4०८१५१३, २ १९१३,
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