भ्रम विध्वंसनम् | Bhram Vidhvansnam

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhram Vidhvansnam  by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( #॥ ) सद्वितीय अभ्यास धा । । आपने अपने नवीन रखित ग्रन्थों से जैसी ज्ञिन धर्म की महिमा बढ़ाई है उसका वर्णन नहीं हो सक्ता | आपकाशुभ जन्म मारवाड़ में “रोयट” नामक ग्राम में ओशवंशस्थ गोटछा जाति में सम्बत्‌ १८६० आश्विन शुक्का * के दिन हुआ था। आपके पिता का न/म आईदानज्ञी और माता का नाम कलुजी था| आपने करप कल्य/तरों के लिये “श्रीमगवती की होड़” आदि अनेक रखता द्वारा भूमिपर अपना यश छोड़ कर सम्बत्‌ १६३८ भाद्वपद्‌ कृष्ण १२ -के दिन स्वर्ग के लिये प्रस्थान किया । पूज्य श्रीक्याचारय के अन्तर पश्चम पट्‌ पर श्वी मधघ्रवा गणी (मघ्रयाज्जी) सुशोभित हुए । प्रकी शान्ति भत्ति आ व्रह्मययक्रा तेज दख कर कवियों ने आप- को मधवा ( इन्द्र ) की ही उप्मा दी है। आप व्याकरण काग्य कोपादि शास्त्रों में प्रखर विद्वान थे । आपका शुम जन्म वीकानेर राज्यात्तगत बीदासर नामक तगर में ओशवंशस्थ वेगवानी नामक जानि मे संम्बन्‌ १८६७ चैत्र शुक्ला ११ के दिन हुआ । आपके पिताका नाम पूरणमलज्ञी और माता का नाप्त क्‍न्‍नाज्ञी था। आप आनन्द पूर्वक जिन मारयकी उन्नति करते हुए सम्बत १६४६ चैत्र कृष्ण ५ के दिन खगं के लिप प्रम्थित हुप। पूज्य श्रीयत पणी के अनन्तर छर पट प्रर श्रीमाणिकचन्द्रजी महाराज विराजमानहुए । आपका शुम जन्म जयपुर नामक प्रसिद्ध नगर मैं संवत्‌ १६१२ भाद्र कृष्ण ७ को दिन ओशवंशस्थ खारड श्रीमाल नामक जाति में हुआ। आपके पिता का नाम हुकुमचन्द्रजी और माता का नाम छोटाजी था | आप थोड़े ही समय में समा- जको अपने दिव्य गुणों से विक्राशित करते हुए संवत्‌ १६५७ का।त्तक कृष्ण ३ के दिन स्वर्ग वासी हुए । पूज्य श्रीमाणिक गणी के अनन्तर सप्तम पट्पर श्री डाल्गणी महाराज विरा- जपमान हुए आपका शुभ जन्म मालवा दैशम्थ उजयिनी नगर मे ओशवंशस्थ पीपाड़ा नामक जाति में संवत्‌ १६०६ आपाढ़ शुक्का ४ के दिन हुआ | आपके पिता का नाम कनीराजी और माता का नाम जडावाँजी था जिनलोगोंने आपका दर्शन किया है थे समझते ही हैं कि आपका मु मण्डल प्रह्मचयंके तेज के कारण सगराज मुख सम जगमगाता था। आप 'जिनमार्ग की पर्ण उन्नति करते हुए संवत्‌ १६६६ भाद्र पद शुक्का १२ के दिन खर्ग को पश्चाण गये |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now