अहिंसा - विवेचन | Ahinsa Vivechan

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Ahinsa Vivechan by किशोरीलाल मशरूवाला - Kishorilal Mashroowala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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$ 3 व्यवहाय अहिंसा १ प्रस्तावना हिसा और अहिसा का विवाद अब केवरू बौद्धिक चर्चा का ही विषय नहीं रहा, बल्कि यह विषय आज हमारे लिए इतने तात्कालिक और व्यावहारिक महत्त्व का होगया हैँ कि जितना शायद आज तक कभी नही हुआ था । । गाधीजी ने जवसे सत्याग्रह के नाम से विख्यात अपनी प्रतिकार पद्धति का प्रचार किया और उसके सिलसिले में इस अहिंसा शब्द को राजनीति के क्षेत्र में दाखिल किया, तबसे इस प्राचीन शब्द में एक नया अकुर निकला हूँ । तीस से अधिक वर्षों से गाधीजी अपने लेखों और प्रत्यक्ष प्रयोगो द्वारा उसका अर्थ स्पष्ट करने में अपनी शक्ति কমা হই ই । । फिर भी, हमसे से कई लोगो का यह विचार है कि यह विषय या तो इतना बारीक है कि वह मामूली आदमी की समझ से परे हैं या फिर उसका अमल करना हमारी ताकत से बाहर है । दूसरी तरफ, हिसा को हम सब समझ सकते हे। थोडे मे कहे तो, नये अधिकार प्राप्त करने या पुराने हको की हिफाजत करने के लिए हमारी स्वार्थ-बुद्धि हमें जो-जो भले-बुरे उपाय सुझा दे, वे सब हिसा के क्षेत्र में आ जाते है । हमें रात-दिन अपने चारो तरफ उसका अत्यन्त भयकर ओर पकड में ही न आ सके इतने सूक्ष्म रूपो में भी अनुभव होता रहता है । आज दो वर्षों से यूरोप जोरो से उसके प्रभाव में आया है और उससे दुनिया की--या कम-से-कम हमारी--स्थिति




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