व्यावहारिक ज्ञान | Vyavharik Gyan

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Vyavharik Gyan by महात्मा गाँधी - Mahatma Gandhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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असहयोग या ठक तअल्लक ९५ ^. পি পাস টি লী সিসি লি লীলা শনি এট পরী সী না ৮৯ লস পি 5 आह ९ লিউ পি কী পি পিপাসা! १८५७ के बलवबेको में नहीं भुखता । इस बलवेमें भारतको चाहे जितना ही कष्ट सहना पड़ा परन्तु रोल्ट कासनसे भार- तका जो अपमान करनेको चेष की गई है और इस काननके बन जानेफे बाद भार्तका জী জতনাল किया गया है उसका नझूना अपने सारे इतिहासमें कहीं नहीं मिल सकता। इस मामजेमें जिडटिश-प्रजाले न्याय पानेफे लिये आपको कोई राह टूंढ़नी पड़ेगी । ब्रिटिश पालिमेंड, उनकी छाड सभा, मि० मांयिए्‌ तवा मारतके बड़े लाट, इन संबको खिाफत और पजावके सम्बन्धमें हमारे सावोंकों पूरी खबर है । पालिमेंटकी उपसे दोनों समाओंडी च्चाने और प्रि० मांदेगू और बड़े छाट अपने कामोंसे अच्छी तरह यह बता दिया है क्लवि भार्तके साथ न्याय करनेको तेयार नहीं हैं । अपने नेताओं को इस सम्रय इस कठिनाईमेंसे कांई रास्ता निकालना चाहिये और जबतक हमें अंगरेज अधिकारियकी बराबरीका स्वत्व नहीं आध होता, और यह जबतक आप साबित नहीं कर देते कि उनके हाथोंसे हम अपने मानकी रक्षा कर सकते है तबरतक उनसे किसी प्रकारका सम्बन्ध या भाई यारा रखा ही नहीं ज्ञा सकता | इसी लिये में अलहयोगक्ता खुन्दर ओर सच्चा माग चतला रहा हूं। कुछ छोगोंका कहना है कि असहयोग गेर कानूनी है में इसे नहीं मानता । में तो कहता हूं कि असहयोग न्यायाजु- 2 मोदित और घर्मलस्मत मार्ग है, प्रत्येक मनुष्य इसको ग्रहण कर 0० আস ০০ + =




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