अथ श्रीस्वामीचरणादासकृतग्रन्थ | Ath Shriswami Charanadas Krat Granth
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
377
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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“'जजचरिवएन१ « ६
छूटे । जा कोई इनको ध्यूनि ने करि'है। भुरमि-मरमि चोरासी परिः हे॥ सुर
'त्तरें मुनि'सबंधी मिलिध्यावें। शिव वह्मोंदिक अन्त न पावें ॥ येदं धिना यहं
বহন, দি । জা মযমিএজড় লন অহা ন। वेदपुराए संहिता गँयें।
चरियुग दसि वतीं 4० ॥1 11... ,* ८. `
॥ 'दो* “ईत उतः श्टको जगरिरे कीन्ह, नहिं विचार ॥
11: , ,.स॒ल्य पुरः जानो. नदी केसे उत. पार.५१
‡ +. चौर दपिस्वीतो कलियग आयो। राजाकी शुकदेंव सुनायों ॥ कलि-
'युंगकी इंबुद्धि वंताऊं। सुनहुपरीक्षित कहि समुकाऊँ॥ ओबीबुद्धि मनुष्य
की होगी।'सर्केल विकल अ मनक रोगी ॥ सृक्षमज्ञान महाअमिमानी 1
नहीं मानि वेदं पुरानी परमेश्वर की निन्दा करि हैं। श्रूतमक्षानी चित
में धरिंहे ॥ खेतरेंपाले-भूमिपा माने । झृत्यमको कर्त्ता करिजाने ॥ परमेश्वर
की बात ने. भावे। ऐसो उत्तर तुरत वतावे ॥ कदि हैं राम कहां है भाई। हमहूँ
को तुप देह.दिखोई ५०१ + *
{दोर : चहमोर दसि 'भिमवर सातदीप नोघएड ॥
: 1 . 1: क्रणदासं सुन: आध्र रव्या कोन वद्यरड ५३
17০১ 1 भैक्कि बिना दीष. न्दी. इन नयनन हस््पि ॥
साघुनको परंेट्मयों बिना भक्ति हरिगूप ५४
सौ० संघुसंन्तर्की निन्दा करि हैं। मंजनकरे ताको वहुअरि हैं ॥ करि
भिमान भापम जार ई। गुरुका कहा नेक नह कार ॥ पय खड़े कार हूँ
चत्तीसी। भरमपूजि तजिईद हरि इसा॥ दम्म मूउकी सेत्रा करिहें। मूठे
पंथन म जा लरि हैं ॥गंऊ ब्राह्मण भ्रष्ट सुहोई । पाप पूत में परि हे दोई ॥
निन्दा दान काट व्यवह! रना इ दविर संसारा ॥ बेद पढ़े करि है
आभमाना।' दम पाडत अर् सव अज्ञाना 1 पट् पररणमेद नह जाने 1 मा-
এনা কই নত ठन् ५५ पय् एनाय र्रिहि.विमररं । कूंठे वाद विवाद
बेदादे ॥ ब्येभिचारिणिददेईहं बहुँनारी। वोलें कूउ बहुत परकारी ॥ शुक्देव
१ गांपेका चौकीदार २ छत्तीसप्रकारके प्य 1
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