मोक्षमार्गप्रकाशक | Mokshmarg Prakashak
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
588
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना
ग्रन्थ ओर ग्रन्थकार
भारतीय वाडमयमें हिन्दी जैन साहित्य अपनी खास विशेषता
रखता है। इतना ही नहीं; किन्तु हिन्दी भाषाको जन्म देनेका श्रेय
भी प्राय: जैन विद्वानोंकों प्राप्त है; क्योंकि हिन्दी भाषाका उद-
गस अपभ्र'श भाषासे हुआ है जिसमें जैनियोंका सातवीं शताब्दी-
से १७ वीं शताब्दी तकक्ा विपुल साहित्य, महाकान्य, खण्ड-काव्य,
चरित्र, पुराण, कथा और स्तुति आदि विभिन्न विषयों पर लिखा
गया है। यद्यपि उसका अधिकांश साहित्य अभी अग्रकाशित ही है
हिन्दी भाषामें जैन साहित्य गद्य और पद्य दोनों भाषाओंमें देखा
जाता है। हिन्दीका गद्य साहित्य १७ वीं शत्ाब्दींसे पूवेका मेरे
देखने में नहीं आया, हो सकता है कि वह इससे भी पूर्ब॑ लिखा
गया हो । परन्तु प्च साहित्य उससे भी पूरका देखनेमें अवश्य
अता दहे।
हिन्दी गद्य साहित्यमें स्व॒तन्त्र कृतियोंकी अपेक्षा टीका प्रंथोंकी
अधिकता पाई जाती है। परन्तु स्वतन्त्र रूपमें लिखी-गई क्ृतियोंमें
सबसे महत्वपूर्ण ऋति 'मोक्षमा्म प्रकाशक! ही है। यद्यपि यह গন্য
विक्रमकी १६ वीं शताब्दीके प्रथम पादकी रचना हैं | तथापि उससे
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